जा पहुँचे लंका नगरी में सागर लांघ के लिरिक्स

जब भी हनुमान जी का नाम लिया जाता है, उनके पराक्रम और भक्ति की अद्भुत कहानियाँ हमारे मन में उमड़ने लगती हैं। “जा पहुँचे लंका नगरी में सागर लांघ के” भजन हनुमान जी के अद्वितीय साहस, निडरता और राम भक्तिभाव को दर्शाता है। यह भजन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब पवनपुत्र हनुमान जी ने माता सीता की खोज में लंका की ओर प्रस्थान किया और अपने अडिग संकल्प से समस्त बाधाओं को पार किया।

Ja Pahuche Lanka Nagari Me Sagar Langh Ke Lyrics

जा पहुँचे लंका नगरी में,
सागर लांघ के,
सियाराम की जय जय बोले,
हनुमत सीना तान के।।

माता के चरणों में जाकर,
बोले जय श्री राम,
श्री राम का दास हूँ मैया,
हनुमत मेरो नाम,
अजर अमर का वर दे डाला,
सेवक जान के,
सियाराम की जय जय बोले,
हनुमत सीना तान के।।

दानव सारे डरकर भाग गए,
रावण के पास,
अक्षय को तो मार गिराया,
आया मेघनाथ,
ब्रह्म बाण में फस गए हनुमत,
अपना जान के,
सियाराम की जय जय बोले,
हनुमत सीना तान के।।

रावण ने पूछा कपिवर से,
कहाँ से वानर आया,
राम चरण सेवक हूँ ‘राधे’,
बजरंग ने बतलाया,
रावण तू क्यूँ आँख दिखाए,
मुझको बांध के,
सियाराम की जय जय बोले,
हनुमत सीना तान के।।

रावण ने फिर क्रोध में आके,
पूँछ में आग लगा दी,
हनुमत ने फिर घूम घूम कर,
सारी लंका जला दी,
नाच कूदते पहुँचे हनुमत,
सम्मुख राम के,
सियाराम की जय जय बोले,
हनुमत सीना तान के।।

जा पहुँचे लंका नगरी में,
सागर लांघ के,
सियाराम की जय जय बोले,
हनुमत सीना तान के।।

हनुमान जी की गाथाएँ हमें यह विश्वास दिलाती हैं कि अगर सच्चे मन से राम भक्ति की जाए तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। जब-जब जीवन में संघर्ष आएं, तब-तब हनुमान जी के साहस और भक्ति को याद कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। उनकी कृपा से हर संकट कट सकता है और हर राह आसान हो सकती है। जय बजरंगबली! ????

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