हम तेरे नादान से बालक तुम दया के सागर हो लिरिक्स

हम तेरे नादान से बालक, तुम दया के सागर हो भजन भक्त और भगवान के बीच की आत्मीयता को दर्शाता है। यह भजन हमें सिखाता है कि हम सभी हनुमान जी के छोटे-छोटे बच्चे के समान हैं, जो कई बार गलतियाँ कर बैठते हैं, लेकिन हमारे संकटमोचन, दयालु और कृपालु हनुमान जी हमें हमेशा क्षमा कर देते हैं और सही राह दिखाते हैं। जब हम सच्चे मन से उनकी शरण में जाते हैं, तो वे हमें अपने आशीर्वाद से जीवन के हर संकट से उबारते हैं।

Ham Tere Nadan se Balak Tum Daya Ke Sagar Ho

हम तेरे नादान से बालक,
तुम दया के सागर हो,
एक एक बूंद में तेरे अमृत,
हमको जान से प्यारा है,
हम तेरें नादान से बालक।।

यह जीवन है तेरी अमानत,
इसको अपना ही माना,
जब तक तेरी शरण ना आयी,
अपना इसको ना जाना,
तुम हो जग के पालनहारे,
मेरा भी कुछ ध्यान करो,
हम तेरें नादान से बालक।।

दुनिया तेरे दर पर मांगे,
खाली दामन फैलाकर,
हाथ पकड़ लो बाबा मेरा,
ठोकर खाई हूं दर दर,
तुम मेरे बन जाओ बाबा,
चरणों में यह अर्जी है,
हम तेरें नादान से बालक।।

तेरी राहों में बालाजी,
पलके आज बिछाई है,
तेरे होते दुख पाउँ मैं,
क्या यह तेरी मर्जी है,
आके तेरे दर पर मैंने,
यह अरदास लगाई है,
हम तेरें नादान से बालक।।

हम तेरे नादान से बालक,
तुम दया के सागर हो,
एक एक बूंद में तेरे अमृत,
हमको जान से प्यारा है,
हम तेरें नादान से बालक।।

भक्त की नादानी और बाल सुलभ भक्ति को स्वीकार करना ही प्रभु की सबसे बड़ी कृपा होती है। यह भजन हमें यह संदेश देता है कि हनुमान जी दया और करुणा के सागर हैं, जो अपने भक्तों पर अपार प्रेम बरसाते हैं। जब हम अपनी कमजोरियों और भूलों को स्वीकार कर लेते हैं और समर्पण भाव से उनके चरणों में शीश झुका देते हैं, तो वे हमें अपनी कृपा से निहाल कर देते हैं और हमें धर्म, भक्ति और सच्चाई के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।

हम तेरे नादान से बालक, तुम दया के सागर हो सिर्फ एक भजन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक संवाद है, जिसमें भक्त अपने आराध्य से प्रेमपूर्वक विनती करता है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने मन की शुद्धता और श्रद्धा को बनाए रखें और हनुमान जी की भक्ति में तल्लीन रहें। उनकी शरण में जाने से मन को शांति मिलती है और जीवन की हर कठिनाई का समाधान स्वतः ही प्राप्त हो जाता है।

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