गरजे रण में पवन कुमार सम्भल ऐ लंका के सरदार लिरिक्स

गरजे रण में पवन कुमार, सम्भल ऐ लंका के सरदार भजन हनुमान जी की अद्भुत वीरता और अपराजेय शक्ति का चित्रण करता है। यह भजन उस महाकाव्यीय क्षण को जीवंत करता है जब हनुमान जी लंका विजय के लिए आगे बढ़ते हैं और उनके गर्जन मात्र से पूरी लंका भयभीत हो जाती है। यह भजन हमें उनकी शक्ति का स्मरण कराता है और यह संदेश देता है कि जब भक्त संकट में होता है, तब पवनपुत्र हनुमान उसकी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।

Garje Ran Me Pawan Kumar Sambhal ye Lanka ke Sardar

बोले बजरंगबली होश में आ लंकेश्वर,
काल मंडरा रहा है आज तुम्हारे सर पर…
कोई भी लंका के ये वीर बच ना पाएंगे,
साथ में तेरे सब बेमौत मारे जाएंगे…
नज़र मिलाएगा तू कैसे मेरे रघुवर से,
काल भी डरता है राम और लखन के तेवर से…
जगत में वार कोई उनका सकता झेल नहीं,
प्रभु से युद्ध कोई बालको का खेल नहीं…
क्रोध से उनके जमीं आसमा थर्राता है,
स्वयं यमराज जिनके नाम से घबराता है…
सम्भल जा वर्ना वो हुलिया बिगाड़ डालेंगे,
तुम्हारी लंका को पलभर में उजाड़ डालेंगे…
तुम्हे समझाऊँ बारम्बार,
प्रभु से ना कर तू तकरार…
गरजे गरजे गरजे।।

अकेली जानकर माता को चुरा लाया है,
तू अपनी राहों में कांटे स्वयं बिछा आया है…
अरे नादाँ क्यों चट्टान से टकराता है,
काल हर वक्त तेरे सर पर मंडराता है…
होश में अब भी आ ऐ मुर्ख कहाँ ध्यान तेरा,
तुझको खा जाएगा एक पल में ये अभिमान तेरा…
अभी भी वक्त है मेरे राम की शरण में चल,
संधि करने का ले अरमान अपने मन में चल…
शरण में जो भी मेरे राम जी के आते है,
भूल सब कर क्षमा बिगड़ी वो बनाते है…
जनक दुरारी को वापस नहीं पठाएगा,
तो यकीन जानना बेमौत मारा जाएगा…
पड़ेगी तीरों की बौछार,
मरेगा तेरी कुल परिवार,
गरजे गरजे गरजे।।

पड़ा यूँ क्रोध में सुनकर के तुरंत लंकेश्वर,
आज जिन्दा नहीं छोड़ूंगा तुझे ऐ बन्दर….
अक्षय को मारा है लंका को तू जलाया है,
हमारी शान को मिट्टी में तू मिलाया है…
बनके राहु मैं तुझे आज निगल डालूंगा,
लखन और राम को चुटकी में मसल डालूंगा…
कहा ललकार के लंका के वीर सरदारों,
देखते क्या हो इसे बिन बिन कर मारो…
फिर ना लंका की तरफ आँख उठाने पाए,
कोई भी जिन्दा यहाँ से नहीं जाने पाए…
तभी ‘शर्मा’ श्री बजरंग ने ललकारा है,
घुसा सीने में रावण के कसके मारा है…
तुम्हे समझाना है बेकार,
तू हो जा मरने को तैयार,
गरजे गरजे गरजे।।

गरजे रण में पवन कुमार…
सम्भल ऐ लंका के सरदार।।

हनुमान जी की वीरता केवल शारीरिक बल में नहीं, बल्कि उनकी अटूट निष्ठा और भक्ति में भी प्रकट होती है। जब उन्होंने लंका में कदम रखा, तो उनकी हुंकार से समस्त राक्षस सेना भयभीत हो गई। यह भजन हमें सिखाता है कि जब जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आएं, तब हमें भी हनुमान जी की तरह धैर्य और साहस का परिचय देना चाहिए। उनकी कृपा से हर असंभव कार्य भी संभव हो सकता है, बस हमें उन पर अटूट विश्वास रखना होगा।

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