बजरंग बलि मेरी नाव चली मेरी नाव को पार भजन लिरिक्स

बजरंग बलि मेरी नाव चली, मेरी नाव को पार यह भजन भगवान हनुमान की कृपा और शक्ति को समर्पित है। इसमें भक्त अपने जीवन के संघर्षों और परेशानियों से मुक्ति की कामना करते हुए बजरंग बली की शरण में आते हैं। यह भजन एक विश्वास का प्रतीक है कि जब हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है, तो कोई भी कठिनाई जीवन में टिक नहीं सकती।

Bajrangbali Meri Nav Chali Meri Nav ko Paar Laga Dena

बजरंग बलि मेरी नाव चली,
मेरी नाव को पार लगा देना,
मुझे माया मोह ने घेर लिया,
संताप ह्रदय का मिटा देना
बजरंग बलि मेरी नाव चली।।

मै दास तो आपका जन्म से हूँ
बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ,
निर्लज्ज विमुख निज कर्म से हूँ
चित से मेरा दोष भुला देना,
बजरंग बलि मेरी नाव चली।।

दुर्बल गरीब और दिन भी हूँ,
नित कर्म क्रिया गति क्षीण भी हूँ,
बलवीर तेरे आधीन हूँ मैं
मेरी बिगड़ी बात बना देना,
बजरंग बलि मेरी नाव चली।।

बल मुझको दे निर्भय कर दो
यश शक्ति मेरी अक्षय कर दो,
मेरा जीवन अमृतमय कर दो,
संजीवन मुझे पीला देना,
बजरंग बलि मेरी नाव चली।।

करुणा निधि नाम तो आप का है
तुम राम दूत अविराम प्रभु,
छोटा सा है एक काम मेरा
श्री राम से मोहे मिला देना,
बजरंग बलि मेरी नाव चली।।

बजरंग बलि मेरी नाव चली,
मेरी नाव को पार लगा देना
मुझे माया मोह ने घेर लिया,
संताप ह्रदय का मिटा देना,
बजरंग बलि मेरी नाव चली।।

बजरंग बलि मेरी नाव चली, मेरी नाव को पार भजन भगवान हनुमान की अपार शक्ति और अनंत कृपा को व्यक्त करता है। जब तक हम उनकी शरण में रहते हैं, तब तक कोई भी संकट हमें छू भी नहीं सकता। हनुमान जी की महिमा में अनेक भजन होते हैं, जैसे कि संकट मोचन हनुमान और राम के दास हनुमान जिसमें उनकी शक्ति और दया का वर्णन किया गया है। यह भजन हमें सिखाता है कि हमें जीवन के हर मोड़ पर हनुमान जी की कृपा की आवश्यकता है, क्योंकि उनका आशीर्वाद हमारे जीवन को खुशहाल बना सकता है और हमें हमारे उद्देश्यों की ओर मार्गदर्शन कर सकता है।

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