बाबा ज्योत पे आजा | Baba Jyot Pe Aaja

जब भक्त अपने आराध्य को प्रेम और श्रद्धा से पुकारते हैं, तो वह पुकार व्यर्थ नहीं जाती। “बाबा ज्योत पे आजा” भजन में भक्तों की वही सच्ची पुकार है, जिसमें वे बालाजी महाराज को अपने समीप बुला रहे हैं। यह भजन भक्ति और समर्पण की उस भावना को दर्शाता है, जहां भक्त अपने आराध्य के दर्शन की अभिलाषा में लीन होकर प्रार्थना करते हैं कि वे उनकी ज्योत के समक्ष विराजमान हों और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें।

Baba Jyot Pe Aaja

बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई,
हो मैं बहोत घनी दुःख पाई,
तेरे नाम की बनी भगतनि दुनिया बोली मारे,
मेरे मर्ज का वैद मिला ना घूम ली सु सारे,
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई….

अगड पड़ोसन बाँझ बतावे भाग लिखा लिया ओला,
एक लाल तू दे दे बाबा मिट जा सारा रोला,
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई….

पति मेरा से सादा भोला होया औलाद का तोडा,
सास मेरी ने हाथ पकड़ लिया देवरानी ने सर फोड़ा,
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई….

सारा कुजबा छो मैं आवे पाछे पड़ी देवरानी,
लुक लुक रोना पड़ गया होगयी मुश्किल रात बितानी,
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई….

तू ना आया ते बाबा मैं तो जहर मंगा के पी लूं,
एक बेटे की भीख घाल दे मैं लाड लड़ा के जी लूं,
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई….

इतना काम बना दे बाबा फेर भँवर पे आऊँ,
नरेश पुनिया न्यू कह से मैं कौशिक ने बुलाऊँ,
बाबा ज्योत पे आजा हो मैं बहोत घनी दुःख पाई….

बालाजी महाराज की भक्ति हमें हर संकट से उबारती है और उनके दिव्य चरणों में समर्पित होने का सुख अवर्णनीय है। यदि यह भजन आपकी भक्ति को और गहरा कर गया, तो अगला भजन: “आना अंजनी के लाल हमारे हरि कीर्तन में” भी अवश्य पढ़े, जिसमें भक्तजन हनुमान जी को अपने कीर्तन में आमंत्रित करते हैं। ???? जय श्री बालाजी महाराज!

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