माँ भवानी के भव्य धाम और उनकी महिमा को शब्दों में बाँध पाना संभव नहीं, क्योंकि उनका आशीर्वाद संपूर्ण सृष्टि पर बना रहता है। “तोरे ऊँचे भुवन बने मात भवानी, मोर नचत है बागों में” भजन माँ की इसी दिव्यता और वैभव का वर्णन करता है। जब माँ भवानी के भव्य मंदिरों में भक्तों की श्रद्धा उमड़ती है, तब पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। यह भजन माँ के अलौकिक सौंदर्य और प्रकृति में व्याप्त उनकी उपस्थिति को दर्शाता है, जो भक्तों के हृदय को आनंद और भक्ति से भर देती है।
Tore Unche Bhuvan Bane Mat Bhavani More Nachat Hai Bago Me
तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
माँ के मंदिर पे कंचन कलश धरे,
वहां चन्दन के जड़े है किवाड़ भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
तोरे अँगना में नोवत बाज रही,
शंख झालर बजे खड़ताल भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
बैठी अटल सिंघासन जगदम्बे,
ओढे चुनरी माँ गोटेदार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
माँ के मस्तक पे बिंदिया दमक रही,
गले मोतियन की माला डार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
कान कुंडल में हीरा चमक रहे,
सोहे सोने के कंगन हाथ भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
पांव पैजनिया छम छम बाज रही,
बहे चरणों से अमृत की धार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
ध्यान पूजन ‘पदम्’ न जानत है,
करूँ कैसे तुम्हारो सिंगार भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
तोरे ऊंचे भुवन बने मात भवानी,
मोर नचत है बागों में।।
लेखक / प्रेषक – डालचन्द कुशवाह”पदम्”
माँ भवानी के भव्य धामों में जाकर या उनके दर्शन करके जो आनंद प्राप्त होता है, वह भक्तों के जीवन को कृतार्थ कर देता है। माँ की भक्ति में ऐसी शक्ति है, जो मन को पवित्र कर देती है और हर विपदा को हर लेती है। यदि यह भजन आपके मन को भक्ति से भर दे, तो ज्योत जले रे दिन रात माई की मड़ुलिया में जैसे अन्य माँ भवानी के भजन भी आपकी श्रद्धा को और प्रगाढ़ कर सकते हैं। माँ भवानी की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे! जय माता दी! 🙏