सुना है हमने ये वेद पुराणो में प्रभु तो बसते है गुरु के प्राणों में

यह भजन गुरु के प्रति हमारी श्रद्धा और आस्था को प्रकट करता है। “सुना है हमने ये वेद पुराणो में प्रभु तो बसते है गुरु के प्राणों में” में यह पंक्तियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि भगवान का रूप गुरु में बसा होता है। गुरु ही हमें सत्य, ज्ञान और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। वेद और पुराणों में जो दिव्य उपदेश दिए गए हैं, वही गुरु के रूप में हमारे सामने होते हैं, जो हमारी आत्मा को जागृत करते हैं।

Suna Hai Hamne Ye Ved Purano Me Prabhu To Basate Hai Guru Ke Prano Me

सुना है हमने ये,
वेद पुराणो में,
प्रभु तो बसते है,
गुरु के प्राणों में,
गुरु कृपा से ही प्रभु मिले है,
सदा रहना दिल में तू गुरुवर के,
सुना हैं हमने ये,
वेद पुराणो में,
प्रभु तो बसते है,
गुरु के प्राणों में।।

गुरु के मुख से निकलता,
प्रभु नाम है,
सुबह शाम आठो पहर,
यही काम है,
भक्त को भगवान मिले,
यही भावना है,
गुरुदेव को सदा यही चाहना है,
सदा ही रहना तुम,
गुरु के चरणों में,
प्रभु तो बसते है,
गुरु के प्राणों में।।

“दिलबर” के दिल में,
गुरु की मूरत है,
बिन गुरु मिलती कहाँ,
जन्नत है,
जिनको गुरु का,
सहारा मिला है,
‘प्राची’ ये खुशियो से,
जीवन खिला है,
गुरु की वाणी हो,
सदा ही कर्णो में,
प्रभु तो बसते है,
गुरु के प्राणों में।।

सुना है हमने ये,
वेद पुराणो में,
प्रभु तो बसते है,
गुरु के प्राणों में,
गुरु कृपा से ही प्रभु मिले है,
सदा रहना दिल में तू गुरुवर के,
सुना हैं हमने ये,
वेद पुराणो में,
प्रभु तो बसते है,
गुरु के प्राणों में।।

गुरु की महिमा अपार है और उनकी भक्ति हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। “सुना है हमने ये वेद पुराणो में प्रभु तो बसते है गुरु के प्राणों में” जैसे भजन हमें यह समझाते हैं कि गुरु के बिना भगवान का साक्षात्कार संभव नहीं है। यदि आपको यह भजन प्रिय लगा, तो “गुरु की महिमा अपरंपार”, “गुरु के चरणों में मेरी नमाज़”, “गुरु के बिना जीवन अधूरा”, और “गुरुवर के आशीर्वाद से हर मुश्किल आसान” भजनों को भी अवश्य पढ़ें और गुरु के आशीर्वाद से अपने जीवन को परिपूर्ण करें।









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