माँ सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी हैं, जिनकी कृपा से ही मनुष्य अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है। “शारदे शारदे वर दे माँ” भजन भक्त की उसी प्रार्थना को दर्शाता है, जहाँ वह माँ से ज्ञान, विवेक और आशीर्वाद की याचना करता है। माँ शारदा अपने भक्तों की पुकार को सुनकर उन्हें विद्या और बुद्धि का अनमोल वरदान प्रदान करती हैं।
Sharde Sharde Var De Maa Aisa
शारदे शारदे वर दे,
माँ ऐसा,
एक युग में तो क्या,
किसी युग में,
दिया हो ना जैसा।।
तेज तेरा जगत में समाया,
रूप तेरा मेरे मन को भाया,
ज्ञान की जोत से जग सजाया,
वीणा वाली मैं ये गुनगुनाया,
शारदे शारदे वर दें,
माँ ऐसा।।
वेद हाथों में माँ तेरे भाये,
वीणा वाली तू वीणा बजाये,
स्वरमयी तुझको जो नित्य ध्याये,
तेरा आशीष वो निश्चय पाये,
शारदे शारदे वर दें,
माँ ऐसा।।
सात स्वर में विराजे तू माता,
वीणा कर में तेरे मात भाता,
मान सम्मान और ज्ञान पाता,
तेरे चरणों के गुण जी भी गाता
शारदे शारदे वर दें,
माँ ऐसा।।
शारदे शारदे वर दे,
माँ ऐसा,
एक युग में तो क्या,
किसी युग में,
दिया हो ना जैसा।।
गीतकार – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
माँ सरस्वती की कृपा से जीवन में प्रकाश और ज्ञान का संचार होता है, जिससे हर बाधा सरलता से पार हो जाती है। यदि यह भजन आपकी श्रद्धा को और गहरा कर दे, तो मेरी भी अरज सुनले दुनिया की सुनने वाली जैसे अन्य भक्तिमय गीत भी आपकी भक्ति भावना को और प्रगाढ़ कर सकते हैं। जय माता दी! 🙏

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩