सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए भजन लिरिक्स

जीवन की इस अनिश्चित यात्रा में, हर कोई किसी न किसी सहारे की तलाश करता है। लेकिन जो व्यक्ति सतगुरु से अपनी डोर बाँध ले, वह कभी भी भटकता नहीं। “सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए” भजन हमें यही संदेश देता है कि अगर हम अपने मन को सतगुरु के चरणों से जोड़ दें, तो हर कठिनाई आसान हो जाएगी और हर अंधकार में प्रकाश मिलेगा।

Satguru Se Dor Apni Kyu Na Bavare Lagaye Bhajan Lyrics

सतगुरु से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

दो दिन का है तमाशा,
ये तेरी जिंदगानी,
पानी का है बताशा,
पगले तेरी कहानी,
अनमोल जिंदगी को,
क्यों मुफ्त में गवाएं,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।

सतगुर से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

कल का बहाना करके,
तूने जिंदगी बिताई,
बचपन जवानी बीती,
बुढ़ापे की रुत है आई,
अब भी तू जाग बन्दे,
मौका निकल ना जाये,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

सतगुर से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

आये है लोग कितने,
आकर चले गए है,
कारून के जैसे कितने,
सिकंदर चले गए है,
माया महल खजाने,
ना साथ ले जा पाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

सतगुरु से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

सतगुरु से जुड़ने वाला भक्त कभी निराश नहीं होता, क्योंकि वही सच्चा मार्गदर्शक और उद्धारकर्ता होते हैं। अगर यह भजन आपको भाव-विभोर कर रहा है, तो “गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना”, “तेरे एहसान का बदला चुकाया जा नहीं सकता”, “बरसा दाता सुख बरसा आँगन आँगन सुख बरसा”, और “गुरु रहमत से तर जाएगा” जैसे भजनों को भी पढ़ें और सतगुरु की असीम कृपा का अनुभव करें।









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