सतगुरु कर दो जी मैहर नैया भव से जाए तर

जीवन रूपी नैया को पार करने के लिए सतगुरु का आशीर्वाद और उनकी कृपा सबसे बड़ा सहारा है। सतगुरु कर दो जी मैहर नैया भव से जाए तर भजन इसी भावना को प्रकट करता है कि जब तक गुरु कृपा नहीं होती, तब तक यह संसार सागर पार नहीं किया जा सकता। आइए, इस भजन के माध्यम से गुरुदेव की कृपा का अनुभव करें।

Satguru Kar Do Ji Maihar Naiya Bhav Se Jaye Tar

सतगुरु कर दो जी मैहर,
नैया भव से जाए तर,
तेरी लम्बी है डगरिया,
मेरी छोटी सी उमर।।

बेशक मै नदाँ हूँ दाता,
लेकिन मै तेरा हूँ दासाँ,
सतगुरू मुझको भूल न जाना,
लेना खबर,
सतगुरु कर दो जी मेंहर,
नैया भव से जाए तर,
तेरी लम्बी है डगरिया,
मेरी छोटी सी उमर।।

तृष्णा ये मुझको सताती है,
दुनिया मुझे बहकाती है,
आते जाते सतगुरू मुझपे,
रखियो नजर,
सतगुरु कर दो जी मेंहर,
नैया भव से जाए तर,
तेरी लम्बी है डगरिया,
मेरी छोटी सी उमर।।

दाता समझ मै न पाऊँ,
कैसे मै तेरे दर आऊँ,
काम क्रोध की घट मे सतगुरू,
उठती लहर,
सतगुरु कर दो जी मेंहर,
नैया भव से जाए तर,
तेरी लम्बी है डगरिया,
मेरी छोटी सी उमर।।

सतगुरु कर दो जी मैहर,
नैया भव से जाए तर,
तेरी लम्बी है डगरिया,
मेरी छोटी सी उमर।।

सतगुरु की मेहर से ही जीवन का असली सार मिलता है, और भक्त भवसागर से पार हो जाता है। इस अनमोल भक्ति को और गहराई से समझने के लिए “गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे”, “बँदगी दुख तमाम हरती है”, “तेरे चरणों में डेरा डाल दिया है गुरुदेव”, और “जो गए गुरु द्वारे भव से पार हो गए” भजन भी पढ़ें और अपने मन को गुरुदेव की भक्ति में रमाएं।









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