सतगुरु जी महाराज मोपे हरि रंग डाला भजन लिरिक्स

जब भक्त सतगुरु की शरण में आता है, तो वह आध्यात्मिक प्रेम और भक्ति के रंग में रंग जाता है। “सतगुरु जी महाराज मोपे हरि रंग डाला” भजन इसी अलौकिक अनुभूति को प्रकट करता है कि गुरुदेव की कृपा से भक्त का हृदय परमात्मा के रंग में रंग जाता है। जब हम इसे पढ़ते या करते हैं, तो हमारे भीतर भक्ति और समर्पण की भावना और प्रबल हो जाती है।

Satguru Ji Maharaj Mope Hari Rang Dala Bhajan Lyrics

दोहा
सतगुरु जिनका नाम है,
और घट के भीतर धाम,
ऐसे दीनदयाल को,
मेरा बारम्बार प्रणाम।

सतगुरु जी महाराज मोपे,
साई रंग डाला साई रंग डाला,
हरि रंग डाला कृष्ण डाला।।

शब्द की चोंट लगी घट भीतर,
भेद गया तन सारा,
शब्द की चोंट लगी घट भीतर,
भेद गया तन सारा,
भेद गया तन सारा,
साई रंग डाला साई रंग डाला,
हरि रंग डाला कृष्ण डाला।।

सुर नर मुनिजन पीर औलिया,
कोई नहीं पावे पारा,
सुर नर मुनिजन पीर औलिया,
कोई नहीं पावे पारा,
कोई नहीं पावे पारा,
साई रंग डाला साई रंग डाला,
हरि रंग डाला कृष्ण डाला।।

साहिब कबीर सबद रंग रंगिया,
सब रंग से रंग न्यारा,
साहिब कबीर सबद रंग रंगिया,
सब रंग से रंग न्यारा,
सब रंग से रंग न्यारा,
साई रंग डाला साई रंग डाला,
हरि रंग डाला कृष्ण डाला।।

सतगुरु जी महाराज मो पे,
साई रंग डाला साई रंग डाला,
हरि रंग डाला कृष्ण डाला।।

गुरुदेव के आशीर्वाद से भक्त का जीवन ईश्वरीय रंग में रंग जाता है, जहां केवल प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का प्रकाश रहता है। उनकी महिमा अपार है, और उनकी कृपा से ही जीवन धन्य होता है। यदि यह भजन आपको आध्यात्मिक आनंद से भरता है, तो “गुरुवर मेरी ओर अपनी नजरिया रखियो”, “गुरु की महिमा कोई ना जाने”, “गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे” और “संतों का समागम भक्तों को तीर्थ से भी बढ़कर होता है” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और सतगुरु की महिमा का अनुभव करें।









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