संतो का समागम भक्तो को तीरथ से भी बढकर होता है

संतों की संगति जीवन को नई दिशा और आध्यात्मिक ऊँचाइयाँ प्रदान करती है। उनके वचनों से न केवल आत्मा शुद्ध होती है, बल्कि मन भी शांति और भक्ति में रम जाता है। “संतों का समागम भक्तों को तीर्थ से भी बढ़कर होता है” भजन इसी गहरे सत्य को प्रकट करता है। जब हम इस भजन को पढ़ते या करते हैं, तो हमें संतों की महिमा और उनके सान्निध्य का महत्व समझ में आता है, जो तीर्थ यात्रा से भी अधिक पुण्यदायी होता है।

Santo Ka Samagam Bhakto Ko Tirath Se Bhi Badkar Hota Hai

संतो का समागम भक्तो को,
तीरथ से भी बढकर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

सत्संग कथाएँ सुनने को,
प्रेमी दूर दूर से आते है,
जिस भाव से जो भी सुनता है,
जिस भाव से जो भी सुनता है,
वैसा ही मुकद्दर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

सत्संग ना किया विषयों में फिरा,
जीवन को कुसंगत बिता ही दिया,
जब ज्ञान ना उपजा ह्रदय में,
जब ज्ञान ना उपजा ह्रदय में,
क्या कान फुका कर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

तीरथ का मजा तीरथ वाले,
तीरथ में ही जाकर लेते है,
तीरथ का मजा गुरु चरणों में,
तीरथ का मजा गुरु चरणों में,
इस सर को झुका कर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

असमंजस में क्यों पड़े हो तुम,
सच्चे सतगुरु को पहचानो,
जब सूर्य उदय हो जाता है,
जब सूर्य उदय हो जाता है,
जग का अंधकार तब मिटता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

क्यों डरते हो ऐ जग वालों,
एक बार शरण में आ जाओ,
हरि नाम समझकर सुमिरन से,
हरि नाम समझकर सुमिरन से,
भव पार यह जीवन होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

संतो का समागम भक्तों को,
तीरथ से भी बढकर होता है,
संतो की मधुर वाणी सुनने,
भगवान भी हाजिर होता है।।

संतों का सान्निध्य भक्तों के लिए आध्यात्मिक अमृत के समान होता है, जो जीवन को ज्ञान और भक्ति से परिपूर्ण कर देता है। यदि यह भजन आपको प्रेरित करता है, तो “सतगुरु ने दिया आनंद भजन कर जीवन में”, “गुरुदेव की महिमा अपरंपार”, “तेरी रहमतों का दरिया” और “गुरु की महिमा गाते जाओ” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की भक्ति में लीन हों।









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