गुरुदेव के चरणों की भक्ति करने से जीवन में सुख, शांति और आशीर्वाद की अनुभूति होती है। जब हम सच्चे मन से उनके पग छूते हैं, तो हर कष्ट दूर हो जाता है और आत्मा को असीम शांति प्राप्त होती है। “पगलिया पूजो रे गुरु जी का चंदन घोल घोल कर” भजन इसी श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करता है, जहां भक्त प्रेमपूर्वक गुरु जी के चरणों की पूजा करता है और अपनी भक्ति अर्पित करता है। इस भजन को पढ़ते या करते समय हमें गुरुदेव की दिव्यता और उनकी कृपा का एहसास होता है।
Pagliya Pujo Re Guru Ji Ka Chandan Ghol Ghol Kar
दोहा
गुरु नाम से बढ़कर दुनिया में,
दूसरा नाम क्या होगा,
जिनके पैरों के नीचे जन्नत हो,
उसके सर का मुकाम क्या होगा।
पगलिया पूजो रे गुरु जी का,
चंदन घोल घोल कर,
पुरो पूजन कर लो भक्तो,
हाथ को जोड़ जोड़ कर,
पुरो पूजन कर लो भक्तो,
हाथ को जोड़ जोड़ कर।।
मेरे बिगड़े काम संवारे,
मेरे बिगड़े काम संवारे,
मुझ को भव से पार उतारे,
मुझ को भव से पार उतारे,
मेरे बिगड़े काम संवारे,
मुझ को भव से पार उतारे,
तेरी सेवा मे रहुंगा,
हथ को जोड़ जोड़ के,
पगलिया पूजों रे गुरु जी का,
चंदन घोल घोल के।।
माला मोगरे की लाओ,
माला मोगरे की लाओ,
इन हाथो से इत्र लगाओ,
इन हाथो से इत्र लगाओ,
माला मोगरे की लाओ,
इन हाथो से इत्र लगाओ,
नही कही जाउंगा मैं गुरुवर,
तुमको छोड़ छोड़ के,
पगलिया पूजों रे गुरु जी का,
चंदन घोल घोल के।।
गुरुवर ऐसे है हमारे,
गुरुवर ऐसे है हमारे,
करते सब के वारे न्यारे,
करते सब के वारे न्यारे,
गुरुवर ऐसे है हमारे,
करते सब के वारे न्यारे,
इनके चरणों को छूलो रे,
भगतो दोड दोड के,
पगलिया पूजों रे गुरु जी का,
चंदन घोल घोल के।।
इनकी आरती उतारो,
इनकी आरती उतारो,
इनके चरणों मे शीश झुकालो,
इनके चरणों मे शीश झुकालो,
इनकी आरती उतारो,
इनके चरणों मे शीश झुकालो,
इनके जयकारे बोलो रे,
भगतो जोर जोर से,
पगलिया पूजों रे गुरु जी का,
चंदन घोल घोल के।।
पगलिया पूजा रे गुरु जी का,
हाथ को जोड़ जोड़ कर,
पुरो पूजन कर लो भक्तो,
हाथ को जोड़ जोड़ कर,
पुरो पूजन कर लो भक्तो,
हाथ को जोड़ जोड़ कर।।
गुरुदेव के चरणों की सेवा करने से जीवन में सभी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं और भक्ति का सच्चा आनंद प्राप्त होता है। यदि यह भजन आपको भक्ति और श्रद्धा से भरता है, तो “नमो नमो रामा गुरु वंदन जगत जड़या मोहे काढ़ लिया”, “गुरुदेव बिना इस जीवन के अंधकार को कौन मिटाएगा”, “गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे” और “गुरु की महिमा कोई ना जाने” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की महिमा का गुणगान करें।
मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩