गुरुदेव की वंदना से बड़ा कोई साधन नहीं, क्योंकि वे ही हमें अज्ञान के बंधनों से मुक्त कर सत्य के प्रकाश में ले जाते हैं। “नमो नमो रामा गुरु वंदन जगत जड़या मोहे काढ़ लिया” भजन में यही भाव प्रकट होता है, जहां भक्त अपने गुरु की महिमा का गुणगान करता है और उनके आशीर्वाद को अपने जीवन का सबसे बड़ा वरदान मानता है। जब हम इस भजन को पढ़ते या करते हैं, तो हमें गुरुदेव की कृपा का अनुभव होता है, जो हमें सांसारिक मोह और अज्ञान से निकालकर भक्ति के मार्ग पर ले जाती है।
Namo Namo Rama Guru Vandan Jaghat Jandya Mohe Kaad Liya
नमो नमो रामा गुरु वंदन,
जगत जड़या मोहे काढ़ लिया,
दीन दयाल दया के सागर,
भक्ति मुक्ति निधि बगस लिया,
नमों नमों रामा गुरु वँदन।।
क्या ले पूज करूँ सतगुरु की,
जिन ऐसा उपकार किया,
तन मन धन सब अर्पण करिये,
फेर चरण में चित दिया,
नमों नमों रामा गुरु वँदन।।
काम क्रोध मद लोभ विषय सब,
ऐ सब ही गुरु दूर किया,
ज्ञान ध्यान धीरज नित धारा,
सतगुरु ऐ लच्छ मोय दिया,
नमों नमों रामा गुरु वँदन।।
परसराम कर गुरु जी री सेवा,
राम नाम उपदेश दिया,
नहीं तो जग के संग बह जाता,
बांह पकड़ गुरु काढ़ लिया,
नमों नमों रामा गुरु वँदन।।
नमो नमो रामा गुरु वंदन,
जगत जड़या मोहे काढ़ लिया
दीन दयाल दया के सागर,
भक्ति मुक्ति निधि बगस लिया,
नमों नमों रामा गुरु वँदन।।
गुरुदेव के चरणों में सच्ची शरण लेने से ही जीवन में आनंद, शांति और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है। यदि यह भजन आपके मन में भक्ति और श्रद्धा को जागृत करता है, तो “गुरुदेव बिना इस जीवन के अंधकार को कौन मिटाएगा”, “गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे”, “गुरु की महिमा कोई ना जाने” और “जब सिर पे गुरु जी का हाथ फिर मन तोहे चिंता काहे की” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की महिमा का गुणगान करें।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म