सतगुरु की कृपा अपार होती है, लेकिन उसकी सच्ची कीमत वही जान सकता है जिसने अपने जीवन में उनके आशीर्वाद का अनुभव किया हो। “मुल कित्ती महनता दा पवाई मेरे दातेया” भजन में भक्त उस अनमोल कृपा का गुणगान करता है, जो गुरुदेव ने उसे प्रदान की है। यह भजन हमें सिखाता है कि सतगुरु की दी हुई नेमतें सांसारिक मूल्यों से परे हैं और उन्हें कोई मूल्य नहीं चुकाया जा सकता।
Mul Kitti Mahanata Da Pavai Mere Dateya Bhajan Lyrics
मुल कित्ती महनता दा,
पवाई मेरे दातेया,
औकात विच रहणा,
तू सिखाई मेरे दातेया।।
मिले जो वी मैनु ओदा,
शुक्र मनावा मैं,
दुख विच याद करा,
सुख च ना भुलावा मैं,
हर वेले नाम तू,
जपाई मेरे दातेया,
औकात विच रहणा,
तू सिखाई मेरे दातेया।।
होवे भावे उच्चा रुतबा,
करां ना गुमान मैं,
नीवा बन जीवां सबदा,
करां सम्मान मैं,
सच दी तू राह ते,
चलाई मेरे दातेया,
औकात विच रहणा,
तू सिखाई मेरे दातेया।।
नेकियां दी राह चल्ला,
हक दा ही खावा मैं,
बोल मिट्ठे बोला किसदा,
दिल ना दुखावा मैं,
रूखी चाहे मिस्सी,
तू खवाई मेरे दातेया,
औकात विच रहणा,
तू सिखाई मेरे दातेया।।
मुल कित्ती महनता दा,
पवाई मेरे दातेया,
औकात विच रहणा,
तू सिखाई मेरे दातेया।।
गुरुदेव की कृपा का मूल्य चुकाया नहीं जा सकता, लेकिन सच्चे मन से उनकी भक्ति कर हम उनके आशीर्वाद के पात्र अवश्य बन सकते हैं। यदि यह भजन आपके हृदय को भक्ति भाव से भर देता है, तो “चले गये सतगुरू कौन से जहान में”, “दस्स दे मेरे दातेया मैनू इक थाह”, “आस राखो सतगुरु की” और “गुरुदेव के चरणों में सौ बार नमन मेरा” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की महिमा का गुणगान करें।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩