मेरे सतगुरू तेरी नौकरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी भजन लिरिक्स

जब भक्त के हृदय में गुरुदेव के प्रति अटूट श्रद्धा होती है, तो वह उन्हें ही अपना सर्वस्व मान लेता है। “मेरे सतगुरु तेरी नौकरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी” भजन में इसी भक्ति भाव का सुंदर वर्णन किया गया है। यह भजन हमें यह सिखाता है कि संसार की नौकरियों में सुख-दुख आते-जाते रहते हैं, लेकिन सतगुरु की शरण में आकर किया गया सेवा-समर्पण ही सच्चा और स्थायी आनंद देता है।

Mere Satguru Teri Naukari Sabse Badiya Hai sabse Khari Bhajan lyrics

मेरे सतगुरू तेरी नौकरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।

मेरे सतगूरू तेरी नौकरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की हाजरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

खुशनसीबी का जब गुल खिला,
तब कही जाके ये दर मिला,
हो गई अब तो रहमत तेरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

मै नही था किसी काम का,
ले सहारा तेरे नाम का,
बन गई अब तो बिगड़ी मेरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

जबसे तेरा गुलाम हो गया,
तबसे मेरा भी नाम हो गया,
वरना औकात क्या थी मेरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

मेरी तनख्वाह भी कूछ कम नही,
कूछ मिले ना मिले ग़म नही,
होगी ऐसी कहाँ दुसरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

इक वीयोगी दीवाना हूँ मै,
खाक चरणों की चाहता हूँ मै,
आखरी ईल्तेजा है मेरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

मेरे सतगूरू तेरी नौकरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की हाजरी,
सबसे बढ़िया है सबसे खरी॥॥

गुरुदेव की सेवा ही सच्ची साधना है, और उनकी शरण में आकर भक्त जीवन के हर बंधन से मुक्त हो जाता है। यदि आपके मन में भी गुरुदेव की भक्ति की लौ जल रही है, तो “गुरु चरण कमल बलिहारी रे”, “सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए”, “ले गुरु का नाम बंदे यही तो सहारा है”, और “गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना” जैसे भजनों को भी पढ़ें और अपने हृदय में भक्ति की अनुभूति करें।









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