मात पिता तू मै बालक हूँ सुनलो हे सतगुरू दाता

सतगुरु अपने शिष्यों के लिए माता-पिता से भी बढ़कर होते हैं, क्योंकि वे आध्यात्मिक मार्ग दिखाकर जीव को मोक्ष की ओर ले जाते हैं। मात पिता तू मै बालक हूँ सुनलो हे सतगुरू दाता भजन में भक्त अपनी पूर्ण समर्पण भावना प्रकट करता है, जैसे एक बालक अपने माता-पिता पर निर्भर होता है। यह भजन गुरुदेव के प्रति हमारी अटूट श्रद्धा और प्रेम को अभिव्यक्त करता है।

Mat Pita Tu Main Balak Hoon Sunlo Hey Satguru Data

मात पिता तू मै बालक हूँ,
सुनलो हे सतगुरू दाता,
जनम जनम तक रहे प्रभू बस,
तेरा मेरा यह नाता।।

तेरी कृपा से ही मुझको,
जीवन ये प्यारा मिला,
तेरे चरणो की कृपा से,
मुझको यह द्वारा मिला,
यूँ ही बरसती रहे सदा ही,
तेरी कृपा ओ दाता,
जनम जनम तक रहे प्रभू बस,
तेरा मेरा यह नाता।।

इस क्षण भँगुर जीवन में प्रभू,
काम न मै कुछ कर पाया,
दिलो जान से करूँगा भक्ति,
फिर से तन ग़र ये पाया,
ये ही तमन्ना है मन मे बस,
और नही कुछ भी दाता,
जनम जनम तक रहे प्रभू बस,
तेरा मेरा यह नाता।।

फिर भी मै मूरख अज्ञानी,
प्यार तेरा न समझ पाया,
इस झूठी दुनिया मे खुद ही,
अपने मन को उलझाया,
सुलझने की हर कोशिश की पर,
हार गया अब मै दाता,
जनम जनम तक रहे प्रभू बस,
तेरा मेरा ये नाता।।

मात पिता तू मै बालक हूँ,
सुनलो हे सतगुरू दाता,
जनम जनम तक रहे प्रभू बस,
तेरा मेरा यह नाता।।

सतगुरु की कृपा से ही जीवन में सच्ची राह मिलती है, और उनकी शरण में आने वाला भक्त कभी अकेला नहीं होता। गुरुदेव की महिमा को समझने के लिए आगे “गुरुदेव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे”, “जो गए गुरु द्वारे भव से पार हो गए”, “तेरी महिमा को न जानूं मैं गुरुदेव” और “गुरुदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो” भजनों को पढ़ें और अपनी भक्ति को सुदृढ़ करें।









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