मन का आँगन महकने लगा है साथ गुरुवर का जबसे मिला है

जब जीवन में गुरु का साथ मिल जाता है, तब हर दिशा उज्ज्वल हो जाती है और मन आनंद से भर जाता है। गुरु की कृपा से हृदय में सच्ची शांति और भक्ति की सुगंध फैलने लगती है। “मन का आँगन महकने लगा है, साथ गुरुवर का जबसे मिला है” भजन इसी गहरे भाव को प्रकट करता है कि गुरु का सान्निध्य हमें हर क्षण आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेम से भर देता है। आइए, इस भजन के माध्यम से गुरुदेव के आशीर्वाद का गुणगान करें।

Man Ka Aagan Mahkane Lga Hai Sath Guruvar Ka Jabse Mila

मन का आँगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है,
रौशनी मन की बतला रही है,
की अंधेरों ने कितना छला है,
मन का आंगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।

है यहाँ तन के रिश्ते सभी से,
माँ पिता बंधू भाई सभी से,
आत्मा का है परमात्मा गुरु,
जिससे जीवन का ये सिलसिला है,
मन का आंगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।

जबसे गुरु की शरण आ गए है,
खुशियों का चमन पा गए है,
साथ गुरुवर का जग में निराला,
जिंदगी से ना शिकवा गिला है,
मन का आंगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।

अब तो गुरुवर के हाथों है जीवन,
दे दिया मैंने अपना ये तन मन,
जबसे गुरुवर के हम हो गए है,
मन में शांति का एक फुल खिला है,
मन का आंगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।

मन का आँगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है,
रौशनी मन की बतला रही है,
की अंधेरों ने कितना छला है,
मन का आंगन महकने लगा है,
साथ गुरुवर का जबसे मिला है।।

गुरु का सान्निध्य जीवन में दिव्यता और आनंद भर देता है। “मन का आँगन महकने लगा है, साथ गुरुवर का जबसे मिला है” भजन हमें यह सिखाता है कि गुरु की कृपा से ही सच्चे सुख और शांति की प्राप्ति होती है। ऐसे ही अन्य भक्तिपूर्ण भजनों जैसे “गुरु चरणों की महिमा अपार”, “गुरु बिना जीवन अधूरा”, “गुरु वाणी का प्रकाश”, और “गुरु कृपा से जीवन सफल” को पढ़ें और अपने हृदय को गुरु भक्ति से महका दें।









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