जब माँ दुर्गा के दरबार में भक्त लाल ध्वजा लेकर पहुँचते हैं, तो आस्था की शक्ति से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है। “लाल ध्वजा लहराये रे, मैया तोरी ऊंची पहड़िया” भजन माँ के भव्य धाम और उनकी अलौकिक शक्ति का गुणगान करता है। यह भजन दर्शाता है कि माँ के ऊँचे पर्वतों पर चढ़कर जब भक्त श्रद्धा से ध्वजा फहराते हैं, तो माँ उनकी हर मनोकामना पूर्ण कर देती हैं। माँ की कृपा और भक्ति की इस भावना से हृदय आनंद और भक्ति से भर जाता है।
Lal Dhwaja Lahraye Re Maiya Tori Unchi Pahadiya
लाल ध्वजा लहराये रे,
मैया तोरी ऊंची पहड़िया।।
लोंग इलायची के बीड़ा लगाए,
चम्पा चमेली के हार बनाये,
लाल अनार चड़ाए रे,
मैया तोरी ऊंची पहड़िया।।
लाल गुलाल से लाल भये है,
लाल तुम्हारे निहाल भये है,
मैया के रंग रंग आये रे,
मैया तोरी ऊंची पहड़िया।।
‘पदम्’ सुमर मैया तोरे जस गाये,
चरणों मे तोरे शीश झुकाये,
गीत सुमन बरसाए रे,
मैया तोरी ऊंची पहड़िया।।
लाल ध्वजा लहराये रे,
मैया तोरी ऊंची पहड़िया।।
लेखक / प्रेषक – डालचन्द कुशवाह पदम्।
माँ की ऊँची पहाड़ियों पर लहराती लाल ध्वजा भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, जो हर भक्त के मन को माँ की शक्ति से जोड़ देती है। जब हम सच्चे मन से माँ का स्मरण करते हैं, तो वे हमें हर संकट से उबारती हैं। यदि यह भजन आपकी श्रद्धा को और गहरा कर दे, तो झूलो झूलो री भवानी पालना जैसे अन्य भक्तिमय गीत भी आपकी भक्ति को और प्रगाढ़ कर सकते हैं। माँ दुर्गा की कृपा हम सभी पर बनी रहे! जय माता दी! 🙏

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩