जिसको नही है बोध तो गुरु ज्ञान क्या करे भजन लिरिक्स

“जिसको नहीं है बोध तो गुरु ज्ञान क्या करे” भजन हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि सच्चे ज्ञान को केवल वही प्राप्त कर सकता है, जो उसके लिए तैयार हो। गुरुदेव हमें सत्य और धर्म का बोध कराते हैं, लेकिन जब तक शिष्य में श्रद्धा और समर्पण नहीं होगा, तब तक वह उस ज्ञान का सही लाभ नहीं उठा पाएगा। यह भजन गुरु की शिक्षा और आत्मज्ञान की महत्ता को दर्शाता है, जो हमारे जीवन को सही दिशा देने में सहायक होती है।

Jisko Nahi Hai Bodh To Guru Ghyan Kya Kare Bhajan Lyrics

जिसको नही है बोध तो,
गुरु ज्ञान क्या करे,
निज रूप को जाना नहीं,
पुराण क्या करे।।

घट घट में ब्रह्मज्योत का,
प्रकाश हो रहा,
मिटा न द्वैतभाव तो,
मिटा न द्वैतभाव तो,
फिर ध्यान क्या करे,
जिसको नही हैं बोध तो,
गुरु ज्ञान क्या करे,
निज रूप को जाना नहीं,
पुराण क्या करे।।

रचना प्रभू की देख के,
ज्ञानी बड़े बड़े,
पावे ना कोई पार तो,
पावे ना कोई पार तो,
नादान क्या करे,
जिसको नही हैं बोध तो,
गुरु ज्ञान क्या करे,
निज रूप को जाना नहीं,
पुराण क्या करे।।

करके दया दयाल ने,
मानुष जन्म दिया,
बंदा न करे भजन तो,
बंदा न करे भजन तो,
भगवान क्या करे,
जिसको नही हैं बोध तो,
गुरु ज्ञान क्या करे,
निज रूप को जाना नहीं,
पुराण क्या करे।।

सब जीव जंतुओं में जिसे,
है नहीं दया,
‘ब्रह्मानंद’ व्रत नेम,
‘ब्रह्मानंद’ व्रत नेम,
पुण्य दान क्या करे,
जिसको नही हैं बोध तो,
गुरु ज्ञान क्या करे,
निज रूप को जाना नहीं,
पुराण क्या करे।।

जिसको नही है बोध तो,
गुरु ज्ञान क्या करे,
निज रूप को जाना नहीं,
पुराण क्या करे।।

गुरु का ज्ञान तभी सार्थक होता है जब शिष्य उसे ग्रहण करने के लिए मन से तैयार हो। “जिसको नहीं है बोध तो गुरु ज्ञान क्या करे” भजन हमें आत्मचिंतन का अवसर देता है और गुरुदेव की शिक्षाओं को जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है। यदि आप गुरु महिमा और उनके ज्ञान की गहराई को समझना चाहते हैं, तो “गुरुदेव के चरणों की गर धूल जो मिल जाए”, “हमें गुरुदेव तेरा सहारा ना मिलता”, “हर घड़ी आपका ध्यान करता रहूं गुरुदेव” और “तेरी कृपा ही मेरा सब कुछ ओ मेरे सतगुरु प्यारे” भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की भक्ति में मन लगाएं।









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