हरि भजने पे तन ये पाओगे भजन लिरिक्स

इस संसार में हरि भजन की महिमा अपरंपार है, और जब हम अपने तन-मन को प्रभु आराधना में लगाते हैं, तब ही वास्तविक शांति और आनंद की प्राप्ति होती है। हरि भजने पे तन ये पाओगे भजन हमें इसी सत्य का बोध कराता है कि जो भी सतगुरु की शरण में आकर हरि नाम का सुमिरन करता है, वह जीवन की हर कठिनाई से पार पा सकता है।

Hari Bhajne Pe Tan Ye Paoge Bhajan Lyrics

हरि भजने पे तन ये पाओगे,
बचना चाहे तो बचले रे प्राणी,
वर्ना चौरासी में तो जाओगे,
हरि भजने पे तन ये पाओगे।।

जग में आया था तेरा कोई न था,
आज कैसे यह रिश्तेदार हूऐ,
ये ही एक दिन तुझे जला देँगे,
कैसे तेरे यह रिश्तेदार हुऐ,
झूठी दुनिया है झूठे नाते है,
खुद कमाओगे तब ही खाओगे,
हरि भजने पे तन ये पाओगे।।

कौन कहता प्रभू नही मिलते,
देखो जाकर गुरू के चरणो मे,
लेले चाबी कोई गुरू से जो,
गुप्त रख्खि गुरू ने चरणो मे,
गुरू चरणो मे सर झुकाओगे,
खुद को प्रभू के करीब पाओगे,
हरि भजने पे तन ये पाओगे।।

तू ने वादा किया था सतगुरू से,
नाम तेरा कभी न छूटेगा,
अपने कर्मो से ही बँधा प्राणी,
अपने कर्मो से ही तू छूटेगा,
वादा सतगुरु से जो निभाओगे,
गुरू चरणो की रज को पाओगे,
हरि भजने पे तन ये पाओगे।।

हरि भजने पे तन ये पाओगे,
बचना चाहे तो बचले रे प्राणी,
वर्ना चौरासी में तो जाओगे,
हरि भजने पे तन ये पाओगे।।

गुरुदेव की भक्ति में जो रम जाता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है। हरि नाम का सुमिरन करने से आत्मिक शांति प्राप्त होती है और हर संकट सरल हो जाता है। ऐसे ही कई अद्भुत भजनों के माध्यम से गुरुदेव हमें भक्ति की महिमा का एहसास कराते हैं। आप “गुरूदेव चले आना एक बार चले आना”, “भजले नाम गुरू का रे मनवा बीत रही है स्वाँसा”, “तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया गुरुदेव”, और “चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना गुरुदेव” भजन भी पढ़ें और अपने मन को आध्यात्मिक आनंद से भरें।









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