जब भक्त का हृदय सतगुरु के दर्शन के लिए व्याकुल हो उठता है, तो उसकी आत्मा एक अनोखी तड़प से भर जाती है। “गुरुजी दरश बिना जियरा मोरा तरसे” भजन इसी भक्तिभाव की गहराई को प्रकट करता है। जब सतगुरु हमारे नेत्रों के सामने नहीं होते, तब उनकी अनुपस्थिति भी हमें उनकी महिमा का अहसास कराती है। यह भजन हर भक्त की उस प्रबल चाह को दर्शाता है, जो अपने गुरु के प्रेममय दर्शन की प्रतीक्षा में दिन-रात तड़पता है।
Guruji Darsh Bina Jiyara Mora Tarse Bhajan Lyrics
गुरुजी दरश बिना,
जियरा मोरा तरसे,
गुरुजी मेरे,
नैनन में जल बरसे।।
पतीत उदाहरण,
नाम तुम्हारा,
दिजे गुरुजी,
मुझको सहारा,
देखो दया और,
प्रेम नजर से,
गुरुजी दरस बिना,
जियरा मोरा तरसे।।
मैं पापन अब,
उनकी दासी,
कैसे करे प्रभु,
निज कि दासी,
काया कपत,
है तेरे डर से,
गुरुजी दरस बिना,
जियरा मोरा तरसे।।
तुम बिन और ना,
पालक मेरा,
ब्रम्हानन्द भरोसा तेरा,
विनती करत हूँ,
तेरे दर पे,
गुरुजी दरस बिना,
जियरा मोरा तरसे।।
गुरुजी दरश बिना,
जियरा मोरा तरसे,
गुरुजी मेरे,
नैनन में जल बरसे।।
सच्चे प्रेम और श्रद्धा से भरा यह भजन हमें यह सिखाता है कि सतगुरु के दर्शन मात्र से जीवन सार्थक हो जाता है। उनके बिना सब कुछ अधूरा लगता है। यदि यह भजन आपके हृदय को छू गया हो, तो “सतगुरु तुम्हारे प्यार ने जीना सीखा दिया”, “गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना”, “अगर है ज्ञान को पाना तो गुरु की जा शरण भाई”, और “ले गुरु का नाम बंदे यही तो सहारा है” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और अपने गुरु प्रेम को और गहरा करें।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩