गुरु चरण कमल बलिहारी रे गुरुदेव भजन लिरिक्स

गुरु के चरण कमलों की महिमा का कोई अंत नहीं, क्योंकि वही सच्चा मार्ग दिखाते हैं और अज्ञान के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। “गुरु चरण कमल बलिहारी रे” भजन हमें सतगुरु के प्रति श्रद्धा, भक्ति और समर्पण की भावना से भर देता है। जब भक्त अपने जीवन का हर पल गुरुचरणों में अर्पित कर देता है, तो उसे शाश्वत शांति और आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति होती है।

Guru Charan Kamal Balihari Re Gurudev Bhajan Lyrics

गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारि रे,
गुरु चरण कमल बलिहारी रे।।

भव सागर में नीर अपारा,
डूब रहा नहीं मिले किनारा,
पल में लिया उबारी रे,
गुरु चरण कमल बलिहारि रे,
मेरे मन की दुविधा टारि रे,
गुरु चरण कमल बलिहारी रे।।

काम क्रोध मद लोभ लुटेरे,
जनम जनम के बैरी मेरे,
सबको दीन्हा मारी रे,
गुरु चरण कमल बलिहारि रे,
मेरे मन की दुविधा टारि रे,
गुरु चरण कमल बलिहारी रे।।

भेद भाव सब दूर कराया,
पूरण ब्रम्ह एक दर्शाया,
घट घट ज्योति निहारी रे,
गुरु चरण कमल बलिहारि रे,
मेरे मन की दुविधा टारि रे,
गुरु चरण कमल बलिहारी रे।।

जोग जुगत गुरुदेव बतलाई,
ब्रम्हानंद शांति मन आई,
मानुष देह सुधारी रे,
गुरु चरण कमल बलिहारि रे,
मेरे मन की दुविधा टारि रे,
गुरु चरण कमल बलिहारी रे।।

गुरु चरण कमल बलिहारी रे,
मेरे मन की दुविधा टारि रे,
गुरु चरण कमल बलिहारी रे।।

गुरुदेव की कृपा से ही जीवन में सच्ची राह मिलती है और संसार के मोह-माया से मुक्त होने का मार्ग प्रशस्त होता है। अगर इस भजन ने आपके हृदय में भक्ति की ज्योत जगाई है, तो “सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए”, “तेरे एहसान का बदला चुकाया जा नहीं सकता”, “गुरुदेव मेरी नैया उस पार लगा देना”, और “बरसा दाता सुख बरसा आँगन आँगन सुख बरसा” जैसे भजनों को भी पढ़ें और अपने मन को गुरुभक्ति से सराबोर करें।









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