चले गये सतगुरू कौन से जहान में भजन लिरिक्स

गुरुदेव का सान्निध्य भक्तों के लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद होता है, लेकिन जब वे इस सांसारिक दुनिया को छोड़कर किसी और लोक में चले जाते हैं, तो मन व्याकुल हो उठता है। “चले गये सतगुरू कौन से जहान में” भजन उसी भाव को प्रकट करता है, जहाँ एक भक्त अपने सतगुरु की अनुपस्थिति में उन्हें खोजने की व्यथा व्यक्त करता है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि सतगुरु का सच्चा रूप उनकी शिक्षाओं और उनके द्वारा दी गई भक्ति में हमेशा विद्यमान रहता है।

Chale Gye Satguru Kaun Se Jahan Mai Bhajan Lyrics

चले गये सतगुरू,
कौन से जहान में,
रहता है कैसे शिष्य,
गुरू बिन जहान में,
डुडंता फिरूं उन्हें मैं,
अब कहां कहां में,
चले गए सतगुरू,
कौन से जहान में।।

गलि कुचे डुंड फिरा,
पाया पता ना,
चले गये कौंन देस,
हमको पता ना,
छोड़ मझधार फिर भी,
रख़ा ख़्याल है,
चले गए सतगुरू,
कौन से जहान में।।

श्यामा श्याम रटते रटते,
जीवन की शाम आई,
अन्तं समय में मेरे,
यही गंगा काम आई,
‘धसका’ को पागल,
बनाया इस जहांन में,
चले गए सतगुरू,
कौन से जहान में।।

चले गये सतगुरू,
कौन से जहान में,
रहता है कैसे शिष्य,
गुरू बिन जहान में,
डुडंता फिरूं उन्हें में,
अब कहां कहां में,
चले गए सतगुरू,
कौन से जहान में।।

सच्चे सतगुरु भले ही भौतिक रूप से हमारे बीच न हों, लेकिन उनकी कृपा, उनकी सीख और उनका आशीर्वाद सदा हमारे साथ रहता है। यदि यह भजन आपके हृदय को छू गया, तो “दस्स दे मेरे दातेया मैनू इक थाह”, “आस राखो सतगुरु की”, “गुरुवर मेरी ओर अपनी नजरिया रखियो” और “गुरुदेव के चरणों में सौ बार नमन मेरा” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुदेव की भक्ति में लीन रहें।

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