“चाहूँ न मैं प्रभु माल खजाना” भजन हमें सच्ची भक्ति का मार्ग दिखाता है। सांसारिक सुख-संपत्ति की चाहत छोड़कर, जब भक्त केवल अपने गुरुदेव और प्रभु की कृपा को ही सबसे बड़ा धन मान लेता है, तभी उसका जीवन सफल होता है। यह भजन हमें समझाता है कि असली खजाना भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि गुरु के आशीर्वाद और आध्यात्मिक ज्ञान में है।
Chahu N Mai Prabhu Mal Khajana Gurudev Bhajan Lyrics
चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना,
बस मुझको इतना बतलाना,
भव कैसे मै तरूँगा,
भव कैसे मै तरूँगा।।
दानी नही ध्यानी नही,
मूरख हूँ मै ज्ञानी नही,
दाता मेरे गुरू सरकार पार,
भव कैसे मै करूँगा,
चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना।।
आया न कभी दर पे तेरे,
गठरी लदी सर पे मेरे,
दाता मेरे गुरू सरकार पार,
भव कैसे मै करूँगा,
चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना।।
नैया फँसी भँवर मे मेरी,
अर्जी यही चरणो मे मेरी,
दाता मेरे गुरू सरकार पार,
भव कैसे मै करूँगा,
चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना।।
चाहूँ न मै प्रभू माल खजाना,
बस मुझको इतना बतलाना,
भव कैसे मै तरूँगा,
भव कैसे मै तरूँगा।।
सच्ची भक्ति वही है, जो बिना किसी स्वार्थ के अपने गुरुदेव और ईश्वर के चरणों में समर्पित हो। “चाहूँ न मैं प्रभु माल खजाना” भजन हमें इसी भाव से जोड़ता है। अन्य भजनों को भी पढ़ें, जैसे “तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया गुरुदेव”, “गुरुदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो”, “तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो” और “गुरुदेव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको”।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म