बेड़ा तर जाए ये भव से यही अरदास करता हूँ

भक्त का सबसे बड़ा संकल्प और प्रार्थना यही होती है कि उसका जीवन नैया गुरु कृपा से भवसागर को पार कर जाए। बेड़ा तर जाए ये भव से यही अरदास करता हूँ भजन इसी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जिसमें भक्त अपने सतगुरु के चरणों में पूर्ण विश्वास रखते हुए उनसे उद्धार की याचना करता है।

Beda Tar Jaye Ye Bhav Se Yahi Ardas Karta Hoon

बेड़ा तर जाए ये भव से,
यही अरदास करता हूँ,
नही सुमिरन भजन मेरे,
मगर फरियाद करता हूँ।।

मिले इक बूँद जो तेरी,
मेरी तृष्णाऐ मिट जाए,
मिले चरणो की जो धूली,
मेरा जीवन सँवर जाए,
यही अर्जी प्रभू तुमसे,
मै दिन और रात करता हूँ।

बैड़ा तर जाए ये भव से,
यही अरदास करता हूँ,
नही सुमिरन भजन मेरे,
मगर फरियाद करता हूँ।।

जिसे गर्मी है दौलत की,
अकड़ उसकी दिखाता है,
किसी के पास बल है वो,
अकड़ उसकी दिखाता है,
मै निर्बल हूँ मै निर्धन हूँ,
तुम्ही को याद करता हूँ।

बैड़ा तर जाए ये भव से,
यही अरदास करता हूँ,
नही सुमिरन भजन मेरे,
मगर फरियाद करता हूँ।।

मेरी नैया तुम्ही गुरुवर,
तुम्ही पतवार हो दाता,
किनारा भी तुम्ही मेरा,
तुम्ही मझधार हो दाता,
नही आशा जगत से है,
तुम्ही से आस करता हूँ।

बैड़ा तर जाए ये भव से,
यही अरदास करता हूँ,
नही सुमिरन भजन मेरे,
मगर फरियाद करता हूँ।।

बेड़ा तर जाए ये भव से,
यही अरदास करता हूँ,
नही सुमिरन भजन मेरे,
मगर फरियाद करता हूँ।।

सतगुरु की कृपा से ही जीव भवसागर पार कर सकता है, क्योंकि वे ही सच्चे मार्गदर्शक हैं। आगे “सतगुरु कर दो जी मैहर नैया भव से जाए तर”, “तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया गुरुदेव”, “अगर तू चाहे जो भव तरना आ गुरु दर पे” और “तेरे चरणों में डेरा डाल दिया है गुरुदेव” भजनों को पढ़ें और सतगुरु की महिमा का गुणगान करें।









Leave a comment