ऐ मेरे मन अभिमानी क्यो करता है नादानी भजन हमें अपने भीतर झांकने और अहंकार को त्यागने की सीख देता है। यह मनुष्य को चेताता है कि अभिमान से कुछ भी प्राप्त नहीं होता, बल्कि सच्ची शांति और सुख केवल गुरुदेव की शरण में जाने से मिलता है। यह भजन हमें आत्ममंथन करने और अपने मन को सच्ची भक्ति की राह पर लगाने के लिए प्रेरित करता है।
Aye Mere Man Abhimani Kyo Karta Hai Nadani
ऐ मेरे मन अभिमानी,
क्यो करता है नादानी।
शेर- है तेरे भजन की बैरा,
यहाँ कोई नही है किसी का,
ये शुभ अवसर है पाया,
भजले तू नाम हरि का,
पर गफलत की बातो मे,
बृथा ही स्वाँस गँवाए,
जो स्वाँस गई ये खाली-2,
वो लोट के फिर न आए,
वो लोट के फिर ना आए।
ऐ मेरे मन अभिमानी,
क्यो करता है नादानी,
जो भूल गया है उसको,
जरा याद करो गूरूवाणी।।
जब लटका नर्क मे था तू,
वहाँ याद किया था गुरू को,
गुरु ने फिर भेजा जग मे,
करके कृपा फिर तुझको,
आ करके तू दुनिया मे,
फँस करके मोह माया मे,
जो भूल गया है उसको,
जरा याद करो गूरूवाणी।।
उड़ जाएगा पँछी एक दिन,
रह जाएगा पिँजरा खाली,
आया था हाथ पसारे,
जाएगा हाथ ही खाली,
थोड़ी सी है जिँदगानी,
न कर तू आना कानी,
जो भूल गया है उसको,
जरा याद करो गूरूवाणी।।
ये तन कुछ काम न आया,
जिसके लिए तू आया,
वो वादा याद तू करले,
जो करके गुरू से आया,
तुझे भेजा था देके निशानी,
क्या बतलाएगा प्राणी,
जो भूल गया है उसको,
जरा याद करो गूरूवाणी।।
ऐ मेरें मन अभिमानी,
क्यो करता है नादानी,
जो भूल गया है उसको,
जरा याद करो गूरूवाणी।।
गुरुदेव की कृपा से ही अहंकार का नाश संभव है और आत्मा को सच्ची शांति प्राप्त होती है। “ऐ मेरे मन अभिमानी, क्यों करता है नादानी” भजन हमें सही मार्ग दिखाने का कार्य करता है। अन्य प्रेरणादायक भजनों को भी पढ़ें, जैसे “सोऐ को संत जगाऐ फिर नीँद न उसको आए”, “तेरी नौका में जो बैठा वो पार हो गया गुरुदेव”, “अगर तू चाहे जो भव तरना आ गुरु दर पे” और “धीरे-धीरे बीती जाए उमर भव तरने का जतन तू कर”।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म