गुरुदेव की कृपा से भक्त का जीवन एक नई आभा से भर उठता है। जब सतगुरु की छाया मिलती है, तो आत्मा पर ऐसा रंग चढ़ता है जो कभी फीका नहीं पड़ता। “ऐसी रंगो गुरुदेव चुनर मेरी” भजन इसी आध्यात्मिक रंग की अनुभूति कराता है, जिसमें भक्त अपने गुरु से विनती करता है कि उसकी भक्ति में कोई कमी न आए। यह चुनर केवल वस्त्र नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और प्रेम का प्रतीक बन जाती है, जो जीवन के हर मोड़ पर उसे सत्य और धर्म की राह पर बनाए रखती है। जब भक्त गुरु के रंग में रंग जाता है, तो उसे संसार के मोह-माया से परे केवल दिव्यता का अनुभव होता है।
Aisi Rango Gurudev Chunar Meri Yesi Rango Gurudev Bhajan Lyrics
ऐसी रंगो गुरुदेव चुनर मेरी,
ऐसी रंगो गुरुदेव,
ऐसी रँगो गुरुदेव चुनर मेरी,
ऐसी रंगो गुरुदेव।।
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न,
हनुमत मेरी चुनर में,
चित्रकूट के घाट पे ओढ़ूँ,
दाग ना लागे गुरुदेव,
चुनर मेरी ऐसी रँगो गुरुदेव,
ऐसी रँगो गुरुदेव चुनर म्हारी,
ऐसी रँगो गुरुदेव।।
गोकुल मथुरा वृन्दावन और,
बरसाना मेरी चुनर में,
यमुना जी के घाट पे ओढ़ूँ,
दाग ना लागे गुरुदेव,
चुनर मेरी ऐसी रँगो गुरुदेव,
ऐसी रंगो गुरुदेव चुनर म्हारी,
ऐसी रँगो गुरुदेव।।
चंदा सूरज नवलख तारा,
रंग दो मेरी चुनर में,
गगन मण्डल के बिच में ओढ़ूँ,
दाग ना लागे गुरुदेव,
चुनर मेरी ऐसी रँगो गुरुदेव,
ऐसी रँगो गुरुदेव चुनर म्हारी,
ऐसी रँगो गुरुदेव।।
कृष्ण कन्हैया ग्वाल बाल,
संग राधा जी मेरी चुनर में,
रास मण्डल के बिच में ओढ़ूँ,
दाग ना लागे गुरुदेव,
चुनर मेरी ऐसी रँगो गुरुदेव,
ऐसी रँगो गुरुदेव चुनर म्हारी,
ऐसी रँगो गुरुदेव।।
गंगा जमुना सरस्वती और,
क्षिप्रा मेरी चुनर में,
महाँकाल दरबार में ओढ़ूँ,
दाग ना लागे गुरुदेव,
चुनर मेरी ऐसी रँगो गुरुदेव,
ऐसी रँगो गुरुदेव चुनर मेरी,
ऐसी रँगो गुरुदेव।।
ऐसी रंगो गुरुदेव चुनर मेरी,
ऐसी रंगो गुरुदेव,
ऐसी रँगो गुरुदेव चुनर म्हारी,
ऐसी रंगो गुरुदेव।।
सतगुरु की भक्ति से बढ़कर और कोई शरण नहीं, क्योंकि गुरु की कृपा से ही मनुष्य सच्चे ज्ञान और शांति का अनुभव करता है। जब कोई सच्चे मन से गुरुदेव के चरणों में समर्पित होता है, तो उसे जीवन का वास्तविक अर्थ समझ में आता है। इस भजन के भावों को हृदय में संजोकर, आप अपने जीवन में गुरुदेव के आशीर्वाद को महसूस कर सकते हैं। यदि यह भजन आपको भाव-विभोर कर गया, तो “गुरु रहमत से तर जाएगा”, “गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना”, “गुरुजी तेरे भरोसे मेरा परिवार है”, और “उद्धार करो गुरु मेरा गुरुदेव” जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और गुरुकृपा का अनुभव करें।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। जय सनातन धर्म