श्रावण मास का आगमन होते ही भक्ति का माहौल और भी दिव्य हो जाता है, जब भक्त माँ के दरबार में उमंग और श्रद्धा के साथ जुटते हैं। “आयो सावणियो, दादी जी म्हारी हिंडो हिंडै आज” भजन माँ की उस कृपा और उत्सवमय माहौल का वर्णन करता है, जहाँ भक्त अपने हृदय की भक्ति को झूले की तरह माँ के चरणों में समर्पित कर देते हैं। सावन का यह पावन समय माँ की भक्ति में लीन होने और उनके आशीर्वाद को पाने का सबसे उपयुक्त अवसर होता है।
Aayo Savniyo Dadi Ji Mhari Hindo Hinde Aaj
आयो सावणियो,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों,
बेला गुलाब चंपा माही,
खूब सज्यो सिणगार,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
झीणो झीणो चमकै मुखड़ो,
भक्तां रो मन हरखै जी,
मिल भगतां के सागै दादी,
करां सिंधारा आज,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
माथे पे बिंदिया हाथ में कंगना,
चुनड़ी चमचम चमके है,
केडसती म्हारी बनड़ी बणी है,
कर सोलह सिणगार,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
पांव में पायल कान में झुमका,
नाक की नथली प्यारी है,
लाल सुरंगी मेहंदी हाथा,
नयना कजरै की धार,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
रिमझिम रिमझिम बरखा बरखै,
सावणियो आयो प्यारो जी,
अंतर केसर की खुशबू से,
मैहक रह्यो दरबार,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
ठुमक ठुमक कर थिरक थिरक कर,
म्हें तो मंगल गावां जी,
बिन घुंघरू के म्हें तो नाचां,
नाचां नव नव ताल,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
घूम घूम कर घूमर घाल्यां,
ढोल बजावां कोई थाल,
झूम झूम कर ‘मधु’ तो नाचे,
माँ ने रिझावै आज,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
आयो सावणियो,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों,
बेला गुलाब चंपा माही,
खूब सज्यो सिणगार,
आयो सावणियों,
ओ आयो सावणियों,
दादी जी म्हारी,
हिंडो हिन्डै आज,
आयो सावणियों।।
Singer – Madhu Kedia
सावन के झूले में विराजित माँ जब भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि डालती हैं, तो उनका जीवन आनंद और सुख से भर जाता है। माँ के दरबार में हर भक्त को अपार शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। यदि यह भजन आपकी भक्ति को और प्रगाढ़ कर दे, तो दादी खोल दे दरवाजो, म्हें तो केड आवांगा जैसे अन्य भक्तिमय गीत भी आपकी श्रद्धा को और गहरा कर सकते हैं। माँ की कृपा सब पर बनी रहे! जय माता दी! 🙏

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩