यीशु गायत्री मंत्र: यीशु मसीह की कृपा पाने का दिव्य मंत्र

आजकल कई लोग जो भारत में रहते हुए ईसाई भक्ति और भारतीय आध्यात्मिक परंपरा को साथ लेकर चलना चाहते हैं, इसलिए वे यीशु गायत्री मंत्र को खोजते हैं। यह मंत्र प्रभु यीशु को गायत्री छंद में पुकारने का माध्यम है, जो भक्त के मन, आत्मा और जीवन को शुद्ध और शांत करता है। आइये आपको Yesu Gayatri Mantra के लिरिक्स और जाप करने की विधि को बताते है-

Yesu Gayatri Mantra

ॐ पापविमोचकाय विद्महे,
मेरी पुत्राय धीमहि,
तन्नो कृस्तु प्रचोदयात्॥

अर्थ- हम उस दिव्य सत्ता यीशु को जानने का प्रयास करें, जो पापों का विमोचन करने वाले हैं। हम माता मरियम के पुत्र, करुणा और बलिदान के प्रतीक प्रभु यीशु का ध्यान करें। वे कृस्तु (मसीह) हमारी बुद्धि को जाग्रत करें और हमें प्रेम, क्षमा और सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दें।

Yesu Gayatri Mantra

ॐ पापविमोचकाय विद्महे, 
मेरी पुत्राय धीमहि, 
तन्नो कृस्तु प्रचोदयात्॥

Yesu Gayatri Mantra, प्रभु यीशु मसीह की शांति, प्रेम और करुणा को आत्मा में अनुभव करने का एक विशेष मार्ग है। यह मंत्र उन साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो आध्यात्मिक संतुलन के साथ ईश्वरीय ऊर्जा से जुड़ना चाहते हैं। यदि आप अन्य दिव्य मंत्रों की अनुभूति करना चाहते हैं, तो Amman Gayatri Mantra, Gayatri Mantra और Sai Baba Gayatri Mantra जैसे अद्भुत स्तोत्रों का जाप भी ज़रूर करें।

मंत्र की जाप विधि

अगर आप यीशु गायत्री मंत्र के जप का सही तरीका जानना चाहते हैं, तो आप एक सुंदर आत्मिक शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं। नीचे हमने इसकी जप विधि सरल भाषा में बताई है-

  1. उपयुक्त समय: सुबह सूर्योदय से पहले या संध्या के समय जाप करना श्रेष्ठ रहता है। रविवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. स्थान और वातावरण: एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें जहाँ प्रभु यीशु की प्रतिमा या फोटो हो। मोमबत्ती से माहौल को दिव्यता दें।
  3. वस्त्र और मुद्रा: इसके लिए आप सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें और सिद्धासन या सुखासन में बैठें, पीठ सीधी और मन शांत हो।
  4. मंत्र उच्चारण: प्रारंभ में 9 बार गहरी सांस लें, फिर मंत्र का 108 बार जाप करें। माला का प्रयोग करें लेकिन मन से भाव प्रधान रखें।
  5. ध्यान विधि: आँखें बंद करके प्रभु यीशु के करुणामयी स्वरूप का ध्यान करें — उनके प्रेम, बलिदान और अनंत दया की अनुभूति करें।
  6. आभार और प्रार्थना: जाप के अंत में प्रभु को धन्यवाद देते हुए प्रार्थना करें और अपने ह्रदय की बात सच्चे भाव से उनके सामने रखें।

यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि आंतरिक जागृति और उच्च चेतना से जुड़ने का सशक्त माध्यम भी है।

FAQ

क्या यह मंत्र पारंपरिक गायत्री मंत्रों जैसा ही प्रभाव देता है?

हां, इसमें भी मंत्र शक्ति और ध्यान का वही लाभ है — अंतर सिर्फ देवता और भावना का होता है।

क्या कोई भी व्यक्ति इसे जप सकता है?

इसे किस भाषा में जपना चाहिए?

क्या इस मंत्र से मानसिक लाभ होते हैं?

क्या इसे चर्च में या घर पर जपा जा सकता है?

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