वायु गायत्री मंत्र: प्राणवायु के देवता को समर्पित पवित्र स्तुति

वायु देव को हिन्दू धर्म में जीवनदायी प्राणवायु का अधिष्ठाता माना गया है। जब कोई व्यक्ति ऊर्जा की कमी, मानसिक थकावट या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहा हो, तब वायु गायत्री मंत्र उसके जीवन में संतुलन, ताजगी और शक्ति का संचार करता है। यहां हमने आपके लिए सम्पूर्ण Vayu Gayatri Mantra को यहां उपलब्ध कराया है-

Vayu Gayatri Mantra

ऊँ पवनपुरुषाय विद्महे, सहस्र मूर्तिये च धीमहे,
तन्नो वायु प्रचोदयात्॥

अर्थ- हम उस दिव्य पवन पुरुष को जानें, जो अनंत रूपों में व्याप्त हैं और जिनकी शक्ति समस्त ब्रह्मांड में प्रवाहित होती है। हम उनके तेज और गुणों का ध्यान करें, और वे वायु देव हमारे अंत:करण को जागृत करें, हमें प्राणशक्ति, शुद्धता और आध्यात्मिक गति प्रदान करें।

Vayu Gayatri Mantra

ऊँ पवनपुरुषाय विद्महे, सहस्र मूर्तिये च धीमहे, 
तन्नो वायु प्रचोदयात्॥

Vayu Gayatri Mantra एक सूक्ष्म लेकिन अत्यंत प्रभावशाली साधना है, जो शारीरिक ऊर्जा, मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक स्थिरता लाने में सहायक होती है। यदि आप अपने साधना पथ को और गहराई देना चाहते हैं, तो Sudarshan Chakra Gayatri Mantra, Kubera Gayatri Mantra और Shani Gayatri Mantra जैसे शक्तिशाली मंत्रों का जाप भी अपने दैनिक जीवन में शामिल करें।

वायु देव के गायत्री मंत्र का जाप करने की विधि

इस मंत्र के द्वारा आप वायु देव की कृपा से अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा और जीवन शक्ति का संचार कर सकते हैं। हमने नीचे Vayu Gayatri Mantra in Hindi जाप की विधि को सरल और उपयोगी रूप में प्रस्तुत किया है-

  1. स्नान: स्नान के बाद स्वच्छ हल्के वस्त्र धारण करें और मन को एकाग्र करने के लिए कुछ क्षण गहरी श्वास लें।
  2. पूजा स्थल और दिशा: पूर्व दिशा की ओर मुख करके लकड़ी के आसन पर बैठें। पूजा स्थल शांत, स्वच्छ और वायु प्रवाह वाला होना चाहिए। वहाँ वायु देव या हनुमान जी की फोटो स्थापित करें क्योंकि हनुमान जी वायु पुत्र हैं।
  3. पूजन सामग्री: घी का दीपक, सफेद पुष्प, धूप, चंदन, अक्षत, तुलसी पत्र और स्वच्छ जल पास में रखें। तुलसी पत्र विशेष रूप से प्राण वायु को दर्शाता है और इसे अर्पित करना पुण्यकारी होता है।
  4. जाप: अब ऊपर दिए गए वायु गायत्री मंत्र का जाप करें और जाप करते समय प्रत्येक बार सांस पर ध्यान दें, यह इस मंत्र की विशेष साधना पद्धति का भाग है।
  5. ध्यान: मंत्र जाप के दौरान कल्पना करें कि शुद्ध वायु की एक सुनहरी लहर आपके शरीर में प्रवेश कर रही है और सारे रोग, तनाव व थकावट को बाहर निकाल रही है।
  6. प्रार्थना: मंत्र जाप पूर्ण करने के बाद वायु देव को प्रणाम करें और उनसे बल, स्वास्थ्य, दीर्घायु और जीवन में गति देने की प्रार्थना करें।

FAQ

मंत्र जाप करने का सबसे शुभ समय क्या है?

यह मंत्र किसके लिए सभी उपयुक्त है ?

क्या इस मंत्र को किसी विशेष दिशा में बैठकर जपना चाहिए?

जी हां, पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है।

क्या वायु देव की मूर्ति या फोटो आवश्यक है?

Share

Leave a comment