रुरु भैरव गायत्री मंत्र: शत्रु नाश और सुरक्षा के लिए अद्भुत साधना

रुरु भैरव गायत्री मंत्र भगवान भैरव के आठ रूपों में से एक रुरु भैरव को समर्पित है। रुरु भैरव को “धर्म के रक्षक और असुरों के नाशक” के रूप में जाना जाता है, इसलिए यह मंत्र विशेष रूप से उन साधकों के लिए उपयुक्त है जो रक्षा, साहस, और भयमुक्त जीवन की कामना करते हैं। यहां हमने आपके लिए इस शक्तिशाली Ruru Bhairava Gayatri Mantra को उपलब्ध कराया है-

Ruru Bhairava Gayatri Mantra

ॐ दिगंबराय विद्महे।
वृषारूढ़ाय धीमहि।
तन्नो रुरुभैरवः प्रचोदयात्॥

अर्थ- हम उन दिगंबर (आकाश को ही वस्त्र स्वरूप धारण करने वाले) भगवान को जानें, जो वृषभ (बैल) पर आरूढ़ हैं, उनका ध्यान करें। वह रुरु भैरव हमारे बुद्धि को सत्कर्मों और आध्यात्मिक जागरण की ओर प्रेरित करें।

Ruru Bhairava Gayatri Mantra

ॐ दिगंबराय विद्महे।
वृषारूढ़ाय धीमहि।
तन्नो रुरुभैरवः प्रचोदयात्॥

Ruru Bhairava Gayatri Mantra का जाप साहस, सुरक्षा और आत्मिक जागरूकता की प्राप्ति में अद्भुत रूप से सहायक है। यदि इसे विधिपूर्वक और आस्था से किया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा, भय और शत्रुओं की शक्ति निष्प्रभावी हो जाती है। साथ ही, आप Batuk Bhairav Gayatri Mantra, Bhairav Gayatri Mantra in Hindi और Kaal Bhairav Gayatri Mantra जैसे अन्य भैरव मंत्रों का अभ्यास कर सकते हैं, जो जीवन में दिव्य ऊर्जा और दृढ़ता भरते हैं।

रुरु भैरव गायत्री मंत्र जाप विधि

यदि आप भय, बाधा या मानसिक अस्थिरता से मुक्ति पाकर आंतरिक शक्ति की अनुभूति करना चाहते हैं, तो इसका जाप आपके लिए विशेष रूप से फलदायी है। नीचे इस मंत्र की जाप विधि को सरल रूप में प्रस्तुत किया है-

  1. समय: भैरव साधनाओं में रात्रि का समय विशेष प्रभावी माना गया है। अष्टमी, चतुर्दशी या रविवार की रात्रि विशेष फलदायक होती है।
  2. विशेष कपड़ें: जाप से पूर्व स्नान करें और शुद्ध लाल रंग के कपड़ें पहनें। लाल रंग रुरु भैरव की शक्ति और तेज का प्रतीक है।
  3. फोटो या यंत्र: साफ स्थान पर रुरु भैरव का फोटो, मूर्ति या यंत्र स्थापित करें और उन्हें लाल फूलों की माला, भस्म और धतूरा अर्पित करें।
  4. पूजन करें: पीतल या मिट्टी के दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और धूप-गुग्गुल से स्थान को सात्विक बनाएं।
  5. मंत्र जप: अब श्रद्धा से 108 बार मंत्र का जाप करें। जाप करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान रुरु भैरव के तेजस्वी स्वरूप पर रखें।
  6. आरती करें: जाप के बाद गुड़, नारियल या काले तिल का भोग अर्पित करें और “जय रुरु भैरव” का उच्च स्वर में कीर्तन करें। इसे नियमित रूप से करने का प्रयास करें।

यह साधना न केवल आंतरिक सुरक्षा और शांति का अनुभव कराती है, बल्कि ईश्वर से जुड़ने का एक गहरा और दिव्य माध्यम भी बनती है।

FAQ

यह गायत्री मंत्र किस उद्देश्य से जपें?

इस मंत्र का जाप विशेष रूप से शत्रु बाधा, आत्म-सुरक्षा और भयमुक्त जीवन के लिए किया जाता है।

क्या इस मंत्र के साथ कोई विशेष तंत्र या यंत्र जुड़ा होता है?

इस मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

क्या स्त्रियाँ भी इस मंत्र का जाप कर सकती हैं?

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