राघवेंद्र स्वामी दक्षिण भारत के महान संतों में से एक हैं, जिन्हें विष्णु के अवतार के रूप में भी पूजा जाता है। उनकी भक्ति से अनेक भक्तों को चमत्कारी अनुभव हुए हैं। राघवेंद्र गायत्री मंत्र एक ऐसा आध्यात्मिक स्तोत्र है जो भक्तों को कृपा, शांति और संकटों से रक्षा प्रदान करता है। Raghavendra Gayatri Mantra का जाप करने से भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
Raghavendra Gayatri Mantra
॥ ॐ वेणकटनाथाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तन्नो राघवेन्द्र प्रचोदयात्॥
Raghavendra Gayatri Mantra Meaning in Hindi
ॐ वेणकटनाथाय विद्महे – हम श्री वेणकटेश्वर के रूप श्री राघवेन्द्र स्वामी की पूजा करते हैं, जो भगवान विष्णु के परम रूप में हैं।
सच्चिदानंदाय धीमहि – हम उस ब्रह्म के ध्यान में लगते हैं, जो सच्चिदानंद स्वरूप है, यानी वह सत्य, ज्ञान और आनंद का निराकार रूप है।
तन्नो राघवेन्द्र प्रचोदयात् – हम उस राघवेन्द्र स्वामी से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें आशीर्वाद दें और हमारे ह्रदय और मस्तिष्क को श्रेष्ठ दिशा में प्रेरित करें।

राघवेंद्र गायत्री मंत्र उन भक्तों के लिए अमोघ साधन है जो गुरु की कृपा, आध्यात्मिक उन्नति और मन की शांति की कामना रखते हैं। इसी प्रकार यदि आप दत्तात्रेय गायत्री मंत्र, शिव गायत्री मंत्र, या विष्णु गायत्री मंत्र के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे अन्य लेख अवश्य देखें।
जाप विधि
- शुभ दिन का चयन करें: इस मंत्र का जाप किसी भी शुभ दिन, विशेष रूप से मंगलवार, गुरुवार, या पूर्णिमा के दिन शुरू करना अच्छा माना जाता है।
- स्वच्छ स्थान और शुद्धता: पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और स्वयं भी स्नान करके शुद्ध हो जाएं। एक शांत वातावरण में मंत्र जाप करना अधिक प्रभावी होता है।
- वस्त्र चयन: साफ और पवित्र वस्त्र पहनें। साधक को सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनने चाहिए जो शांति और पवित्रता का प्रतीक हो।
- पूजा की सामग्री: पूजा के लिए एक दीपक, अगरबत्ती, फूल, और फल रखें। राघवेंद्र स्वामी की फोटो या मूर्ति के सामने इन चीजों को अर्पित करें।
- मंत्र जाप की संख्या: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। रुद्राक्ष की माला से यह जाप करना अधिक शुभ होता है। अगर संभव हो तो 1,008 बार भी जाप करें।
- मंत्र का उच्चारण सही रूप में करें: मंत्र का सही उच्चारण और भावपूर्वक जाप करना जरूरी है। मंत्र का जाप “ॐ राघवेन्द्राय विद्महे, श्रीपादराजाय धीमहि, तन्नो गुरु: प्रचोदयात्” इस तरह से करें।
- ध्यान और साधना: मंत्र का जाप करते समय ध्यान केंद्रित करें और श्री राघवेंद्र स्वामी की छवि को मानसिक रूप से ध्यान में रखें। उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
- अर्पण सामग्री: पूजा में दूध, फल, फूल, और चंदन अर्पित करें। इनसे राघवेंद्र स्वामी की पूजा और भक्ति में पवित्रता बनी रहती है।
- जाप के बाद का पाठ: मंत्र जाप के बाद राघवेंद्र स्वामी की आरती या स्तुति का पाठ करें। इससे मंत्र का प्रभाव और बढ़ जाता है और साधक के जीवन में शांति आती है।
सुझाव- मंत्र जाप को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करें। इसका नियमित जाप करने से मानसिक शांति, सुख, और समृद्धि मिलती है। राघवेंद्र स्वामी की कृपा से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
FAQ
यह मंत्र किसकी पूजा हेतु है?
यह मंत्र श्री राघवेंद्र स्वामी को समर्पित है जो एक दिव्य संत और विष्णु के परम भक्त माने जाते हैं।
क्या यह मंत्र चमत्कारी है?
हाँ, श्रद्धा और नियम से जप करने पर यह मंत्र मनोकामना पूर्ण करने वाला सिद्ध होता है।
क्या इसे साधारण भक्त भी जप सकते हैं?
जी हाँ, कोई भी श्रद्धालु इसे नियमपूर्वक जप सकता है।

मैं श्रुति शास्त्री , एक समर्पित पुजारिन और लेखिका हूँ, मैं अपने हिन्दू देवी पर आध्यात्मिकता पर लेखन भी करती हूँ। हमारे द्वारा लिखें गए आर्टिकल भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, क्योंकि मैं देवी महिमा, पूजन विधि, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति से जुड़ी कठिन जानकारी सरल भाषा में प्रदान करती हूँ। मेरी उद्देश्य भक्तों को देवी शक्ति के प्रति जागरूक करना और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करना है।View Profile