परशुराम गायत्री मंत्र: क्रोध से करुणा तक की साधना का मंत्र

परशुराम गायत्री मंत्र एक दिव्य स्तुति है जो भगवान परशुराम के तेज, शौर्य और आत्मिक संयम की स्मृति दिलाती है। भगवान परशुराम को विष्णु अवतार और क्षत्रिय के रूप में पूजा जाता है, इसलिए Parshuram Gayatri Mantra केवल बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि आत्म-नियंत्रण और धर्म-स्थापना का भी आह्वान करता है। इस दिव्य मंत्र के लिरिक्स कुछ इस प्रकार से है-

Parshuram Gayatri Mantra

ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि,
तन्नो राम: प्रचोदयात्॥1॥

अर्थ- हम उस परशुराम जी को जानें, जो ब्राह्मण कुल में जन्मे, परंतु क्षत्रिय धर्म के संहारक और धर्म-संस्थापक बने। हम उनका ध्यान करें, जिनकी शक्ति और क्रोध अन्याय के अंत का प्रतीक है। वही भगवान राम—जो परशु धारण किए हुए हैं—हमारी बुद्धि को धर्म, वीरता और सत्य के मार्ग पर प्रेरित करें।

ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि,
तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्॥2॥

अर्थ- हम उस महावीर परशुराम को जानें, जो जमदग्नि ऋषि के तेजस्वी पुत्र हैं, हम उनका ध्यान करें, जो अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होकर धर्म की स्थापना करते हैं, वही परशुराम हमारे भीतर साहस, संकल्प और आत्मबल की ज्योति जगाएं।

Parshuram Gayatri Mantra

ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि, 
तन्नो राम: प्रचोदयात्॥1॥

अर्थ- हम उस परशुराम जी को जानें, जो ब्राह्मण कुल में जन्मे, परंतु क्षत्रिय धर्म के संहारक और धर्म-संस्थापक बने। हम उनका ध्यान करें, जिनकी शक्ति और क्रोध अन्याय के अंत का प्रतीक है। वही भगवान राम—जो परशु धारण किए हुए हैं—हमारी बुद्धि को धर्म, वीरता और सत्य के मार्ग पर प्रेरित करें।

ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, 
तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्॥2॥

अर्थ- हम उस महावीर परशुराम को जानें, जो जमदग्नि ऋषि के तेजस्वी पुत्र हैं, हम उनका ध्यान करें, जो अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़े होकर धर्म की स्थापना करते हैं, वही परशुराम हमारे भीतर साहस, संकल्प और आत्मबल की ज्योति जगाएं।

परशुराम गायत्री मंत्र न केवल आंतरिक शक्ति का जागरण करता है, बल्कि यह जीवन में धर्म और संयम की भावना को भी मजबूत करता है। यदि आप भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों के मंत्रों की दिव्यता को और गहराई से समझना चाहते हैं, तो Rama Gayatri Mantra से मर्यादा और निष्ठा को आत्मसात करें, Krishna Gayatri Mantra के माध्यम से प्रेम और बुद्धि की राह पर चलें, Kurma Gayatri Mantra से स्थिरता और संतुलन को जानें ।

मंत्र जाप करने की सम्पूर्ण विधि

भगवान परशुराम के इस मंत्र की जाप विधि शुद्धता, संकल्प और आत्मिक एकाग्रता पर आधारित होती है। इसे नीचे 7 चरणों में समझाया गया है:

  1. शारीरिक शुद्धि: जप से पहले प्रातः काल स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। शरीर के साथ मन को भी शांत और स्थिर करना आवश्यक है।
  2. पूजा स्थान: घर के किसी शांत स्थान पर एक स्वच्छ कपड़ा बिछाएं और उस पर परशुराम जी का इमेज या प्रतीक रखें और उनके सामने दीपक, अगरबत्ती और पुष्प अर्पित करें।
  3. आसन और दिशा: अब पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके कुश या ऊन के आसन पर बैठें। पीठ सीधी रखें और आँखें बंद करके कुछ समय ध्यान करें।
  4. भावना: अपने मन में यह निश्चय करें कि आप किस उद्देश्य से इस मंत्र का जाप कर रहे हैं — चाहे वह क्रोध पर नियंत्रण हो, आत्मबल में वृद्धि या जीवन में अनुशासन लाना हो।
  5. मंत्र जाप: अब श्रद्धा और मनोयोग के साथ ऊपर दिए गए Lord Parshuram Gayatri Mantra का जाप करें। जाप की संख्या 11, 21 या 108 बार हो सकती है।
  6. भाव और श्रद्धा: जाप करते समय भगवान परशुराम की स्वरुप को अपने अंतर्मन में बनाए रखें और उनके गुणों — जैसे वीरता, न्यायप्रियता और धर्मनिष्ठा को आत्मसात करने का प्रयास करें।
  7. प्रार्थना: जाप के पश्चात आंखें बंद करके कुछ क्षण मौन रहें और फिर भगवान परशुराम को प्रणाम करते हुए यह प्रार्थना करें कि वे आपके भीतर धर्म, संयम और विवेक को जागृत करें।

Parshuram Gayatri Mantra केवल स्तुति नहीं, बल्कि आत्मजागरण का माध्यम है। परशुराम जी की कृपा से आप भीतर के भय को हराकर धर्म, साहस और न्याय के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।

FAQ

यह मंत्र किसके लिए उपयोगी है?

जो लोग आत्मबल, क्रोध पर नियंत्रण और धर्मपरायणता को अपनाना चाहते हैं, उनके लिए यह मंत्र अत्यंत उपयोगी है।

क्या इस मंत्र का नियमित जाप किया जा सकता है?

क्या इस मंत्र का उच्चारण कठिन है?

क्या परशुराम जयंती पर इस मंत्र का विशेष महत्व है?

क्या यह मंत्र केवल धार्मिक लोग ही जप सकते हैं?

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