नवग्रह गायत्री मंत्र: जीवन को ग्रहदोष से मुक्त करने का दिव्य उपाय

नवग्रह गायत्री मंत्र हर उस व्यक्ति के लिए एक दिव्य रक्षा कवच है, जो अपनी कुंडली में ग्रह दोष या जीवन में लगातार आ रही रुकावटों से परेशान है। यह मंत्र सूर्य से लेकर केतु तक सभी नौ ग्रहों की कृपा पाने का श्रेष्ठ उपाय है। Navagraha Gayatri Mantra का नियमित जाप जीवन को संतुलित और सुखमय बनाता है।

Navagraha Gayatri Mantra Lyrics

सूर्य ग्रह
॥ अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥

चन्द्रमा ग्रह
॥ पद्मध्वजाय विद्महे हेमरूपाय धीमहि तन्नो सोमःप्रचोदयात्॥

मंगल ग्रह
॥ वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥

बुद्ध ग्रह
॥ गजध्वजाय विद्महे शुकहस्ताय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात्॥

गुरु ग्रह
॥ वृषभध्वजाय विद्महे घृणि हस्ताय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात्॥

शुक्र ग्रह
॥ अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्॥

शनि ग्रह
॥ कागध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात्॥

राहु
॥ नागध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्॥

केतु
॥ अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो केतुः प्रचोदयात्॥

Navagraha Gayatri Mantra Lyrics

सूर्य ग्रह
॥ अश्वध्वजाय विद्महे पाशहस्ताय धीमहि तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥

चन्द्रमा ग्रह
॥ पद्मध्वजाय विद्महे हेमरूपाय धीमहि तन्नो सोमःप्रचोदयात्॥

मंगल ग्रह
॥ वीरध्वजाय विद्महे विघ्नहस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥

बुद्ध ग्रह
॥ गजध्वजाय विद्महे शुकहस्ताय धीमहि तन्नो बुधः प्रचोदयात्॥

गुरु ग्रह
॥ वृषभध्वजाय विद्महे घृणि हस्ताय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदयात्॥

शुक्र ग्रह
॥ अश्वध्वजाय विद्महे धनुर्हस्ताय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात्॥

शनि ग्रह
॥ कागध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात्॥

राहु 
॥ नागध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्॥

केतु
॥ अश्वध्वजाय विद्महे शूलहस्ताय धीमहि तन्नो केतुः प्रचोदयात्॥

Navagraha Gayatri Mantra के साथ- साथ यदि आप किसी विशेष ग्रह के लिए विशिष्ट गायत्री मंत्र चाहते हैं, तो सूर्य गायत्री मंत्र, शनि गायत्री मंत्र और राहु गायत्री मंत्र जैसे हमारे विशेष लेख भी अवश्य पढ़ें। Bhakti Sandesh पर हम आपको सरल भाषा में गहन आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करते हैं।

नवग्रह गायत्री मंत्र जाप विधि

  1. उपयुक्त समय: प्रातःकाल सूर्य उदय से पूर्व या सूर्यास्त के बाद नवग्रहों की साधना करना उत्तम होता है। रविवार या शनिवार विशेष लाभकारी दिन माने जाते हैं। ग्रह शांति हेतु नवग्रह शांति पूजा वाले दिन नवग्रह मंत्र जपना अत्यंत फलदायी होता है।
  2. आसन और दिशा: प्रातः स्नान कर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। सफेद या हल्के पीले कपड़े पहनें। मन को शांत कर सांसों को नियंत्रित करते हुए जाप आरंभ करें।
  3. आवश्यक सामग्री: साफ पीतल का दीपक, नौ प्रकार के फूल, नौ रंगों की वस्तुएं, और रुद्राक्ष या तुलसी माला से जाप करें। यदि घर में नवग्रह की मूर्ति या फोटो हों तो उनके समक्ष दीप जलाकर आरंभ करें।
  4. मंत्र जाप: इस मंत्र को श्रद्धा और एकाग्रता के साथ 108 बार प्रतिदिन या सप्ताह में एक बार जपना विशेष रूप से लाभकारी होता है।
  5. ध्यान: जाप के बाद सभी नौ ग्रहों का ध्यान कर उनसे कृपा की प्रार्थना करें। विशेष रूप से ग्रह पीड़ा या दोष से ग्रसित लोग गुरुवार, शनिवार या ग्रह शांति के दिनों में यह साधना करें।

FAQ

इस मंत्र से क्या लाभ होते हैं?

यह मंत्र जीवन में ग्रह दोष, मानसिक तनाव, रोग, आर्थिक संकट और अन्य समस्याओं से राहत देता है तथा सभी ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

क्या इस मंत्र का जाप सभी कर सकते हैं?

क्या हर ग्रह का अलग गायत्री मंत्र है?

कितनी बार जाप करना चाहिए?

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