मंगल गायत्री मंत्र: ग्रह दोष और क्रोध निवारण का शक्तिशाली उपाय

मंगल गायत्री मंत्र का जाप विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जिनकी कुंडली में मंगल दोष या अधिक क्रोध की प्रवृत्ति हो। Mangal Gayatri Mantra से मानसिक शांति, साहस और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यह मंत्र विवाह में विलंब, संपत्ति विवाद और रक्त विकारों में भी सहायक है।

Mangal Gayatri Mantra

॥ ॐ अंगारकाय विदमहे शक्ति-हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्॥

Mangal Gayatri Mantra

॥ ॐ अंगारकाय विदमहे शक्ति-हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्॥

मंगलदेव गायत्री मंत्र के अलावां यदि आप अन्य ग्रहों के मंत्रों की शक्ति को जानना चाहते हैं, तो Bhakti Sandesh पर उपलब्ध केतु गायत्री मंत्र, शनि गायत्री मंत्र और नवग्रह गायत्री मंत्र को भी अवश्य पढ़ें। प्रत्येक मंत्र आपके जीवन में संतुलन और दिव्यता लाने की ओर एक कदम है।

मंगल गायत्री मंत्र जाप विधि

  1. उचित समय: मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व या सूर्यास्त के बाद यह जाप करना अधिक फलदायी होता है।
  2. दिशा और आसन: पूर्व दिशा की ओर लाल कपड़े पहनकर कुशासन पर बैठें। शांत मन से मंगल देव का ध्यान करें और आंतरिक बल की कामना करें।
  3. आवश्यक सामग्री: लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़, तांबे का पात्र, दीपक, कपूर, और लाल वस्त्र से मंगल की मूर्ति या फोटो की पूजा करें।
  4. मंत्र उच्चारण: इस मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप करते समय मन शांत और श्रद्धा से भरा होना चाहिए। यह मंत्र साहस, निर्णय क्षमता और रक्त संबंधित दोषों से रक्षा करता है।
  5. समापन: जाप पूर्ण होने पर गुड़ का भोग अर्पित करें और मंगल देव को नमस्कार करें। मन से जीवन में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करें।

FAQ

इस मंत्र से क्या लाभ मिलते हैं?

यह मंत्र साहस बढ़ाता है, रक्त से जुड़ी बीमारियों में राहत देता है और वैवाहिक जीवन में संतुलन लाता है।

क्या यह मंत्र बच्चों के लिए भी उपयोगी है?

क्या इस मंत्र से मंगल दोष शांत होता है?

Mangal Gayatri Mantra का जाप किसे करना चाहिए?

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