कूर्म गायत्री मंत्र भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को समर्पित है, जो समुद्र मंथन के समय मंदराचल पर्वत को अपने पीठ पर उठाकर स्थिरता का प्रतीक बने। Kurma Gayatri Mantra का जाप जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और मानसिक शांति लाने के लिए किया जाता है। अगर आपका मन बार-बार विचलित होता है या जीवन में अस्थिरता है, तो नीचे दिए इस मंत्र का जाप अत्यंत प्रभावी है-
Kurma Gayatri Mantra
ॐ कच्छपेसाय विद्महे, माहाबलाय धीमहि,
तन्नो कूर्म प्रचोदयात्॥
अर्थ- हम उस महाबली कच्छप रूपी भगवान को जानें, उनका ध्यान करें, जो विष्णु के अवतार हैं और जिन्होंने संसार की रक्षा के लिए कूर्म (कछुए) का रूप धारण किया। वही भगवान हमारे बुद्धि और मन को सही दिशा में प्रेरित करें।

यदि आप जीवन में स्थिरता, मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति की खोज में हैं तो Kurma Gayatri Mantra का नियमित जाप आपके लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा। साथ ही, आप विष्णु जी के अन्य अवतार के मंत्र जैसे- varahi gayatri mantra, krishna gayatri mantra, narsingh gayatri mantra और rama gayatri mantra का भी जाप कर सकते हैं, जो आपको ज्ञान, सौभाग्य और रचनात्मक ऊर्जा प्रदान करेंगे।
मंत्र जाप करने की सरल विधि
हमने आपके लिए इस जाप की संपूर्ण विधि नीचे उपलब्ध कराई है, ताकि आप इसे सही ढंग से और श्रद्धा के साथ अपना सकें-
- स्थिर और शांत: जप के लिए किसी शांत और स्थिर स्थान का चयन करें जहाँ कोई विघ्न न हो। वातावरण का स्थिर और सकारात्मक होना आवश्यक है।
- स्नान: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र धारण करें। यह शुद्धता आपके मन और शरीर दोनों को मंत्र के प्रभाव के लिए तैयार करता है।
- दीपक जलाएं: जप से पहले भगवान विष्णु के कूर्म रूप की इमेज या मूर्ति के सामने दीपक, धूप आदि लगाकर पूजा करें।
- ध्यान लगाएं: जप प्रारंभ करने से पहले तीन गहरी साँसे लें और ध्यान को एकाग्र करें। यह जप की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है।
- जाप करें: अब कूर्म गायत्री मंत्र का उच्चारण करें। प्रत्येक शब्द को स्पष्टता और श्रद्धा के साथ बोलें, जिससे उसकी ऊर्जा जाग्रत हो।
- 108 बार: कम से कम 108 बार इस मंत्र का जाप करें। आप तुलसी की माला का उपयोग कर सकते हैं, जो भगवान विष्णु को प्रिय है।
- कृतज्ञता: जप पूर्ण होने के बाद भगवान कूर्म का ध्यान करते हुए उन्हें धन्यवाद दें। इस भावना से आपका आध्यात्मिक संबंध और अधिक प्रगाढ़ होगा।
इसका नियमित जाप आपके जीवन में मानसिक दृढ़ता, संकटों से रक्षा और आध्यात्मिक विकास लाता है। विश्वास और नियमपूर्वक किया गया यह साधनात्मक अभ्यास जीवन को स्थायित्व और शांति की ओर ले जाता है।
FAQ
इस मंत्र का जाप कब करें?
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले या संध्या समय जाप करना अधिक फलदायक माना गया है।
क्या इस मंत्र का जाप केवल मंदिर में किया जा सकता है?
नहीं, इसे आप अपने घर के पूजास्थल में भी पूर्ण श्रद्धा से कर सकते हैं।
क्या इस मंत्र का जाप सब कर सकते हैं?
जी हाँ, यह मंत्र सभी के लिए उपयोगी और प्रभावशाली है — चाहे वे किसी भी आयु या लिंग के हों।
क्या यह मंत्र किसी विशेष समस्या में सहायक है?
हाँ, यह मंत्र विशेष रूप से मानसिक अस्थिरता, चिंता और बार-बार बाधा आने की स्थिति में उपयोगी है।

मैं श्रुति शास्त्री , एक समर्पित पुजारिन और लेखिका हूँ, मैं अपने हिन्दू देवी पर आध्यात्मिकता पर लेखन भी करती हूँ। हमारे द्वारा लिखें गए आर्टिकल भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, क्योंकि मैं देवी महिमा, पूजन विधि, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति से जुड़ी कठिन जानकारी सरल भाषा में प्रदान करती हूँ। मेरी उद्देश्य भक्तों को देवी शक्ति के प्रति जागरूक करना और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करना है।View Profile