गायत्री मंत्र इन संस्कृत: जीवन बदल देने वाला सबसे शक्तिशाली मंत्र

गायत्री मंत्र इन संस्कृत को जानना हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है, क्योंकि संस्कृत में इसका उच्चारण अत्यंत प्रभावशाली होता है। लोग इस Gayatri Mantra In Sanskrit को इसलिए खोजते हैं ताकि वे शुद्ध संस्कृत लिपि जो की देववाणी है में मंत्र जाप कर सकें। यहां हमने आपके लिए इस दिव्य मंत्र को उपलब्ध कराया है-

Gayatri Mantra In Sanskrit

ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

Gayatri Mantra in sSanskrit With Hindi Meaning

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपने आंतरिक ध्यान में धारण करते है। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को अच्छे कार्य की ओर प्रेरित करे।

Gayatri Mantra In Sanskrit

ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

Gayatri Mantra in sSanskrit With Hindi Meaning

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपने आंतरिक ध्यान में धारण करते है। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को अच्छे कार्य की ओर प्रेरित करे।

Gayatri Mantra In Sanskrit पाठ साधक के जीवन में नई ऊर्जा, ज्ञान व शक्ति का संचार करता है। यदि आप चाहें तो Gayatri Mantra in Tamil, Gayatri Mantra in Telugu, या Gayatri Mantra In Begali को भी हमारी वेबसाइट पर जाके प्राप्त कर सकते हैं। प्रतिदिन इस मंत्र का विधिपूर्वक जप करने से मानसिक शांति व आध्यात्मिक जागरण संभव है।

गायत्री मंत्र जप करने की विधि

गायत्री मंत्र न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है इसलिए यहाँ हम इसकी जप विधि साझा कर रहे हैं-

  1. स्नान करें: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें क्योकि शुद्ध शरीर व वस्त्र धारण कर पाठ करने से पाठ का प्रभाव बढ़ जाता है।
  2. ध्यान: आँखें बंद कर माँ गायत्री के स्वरूप का ध्यान करें और मन को शुद्ध व एकाग्र बनाना आवश्यक है जिससे मंत्र का प्रभाव मन और आत्मा तक पहुँचे।
  3. जप माला: जप के लिए रुद्राक्ष या तुलसी की माला का उपयोग करें। माला के प्रत्येक मनके पर मंत्र जप करें, सुमेरु मनके को पार न करें, वहीं से उल्टा जप प्रारम्भ करें।
  4. मंत्र उच्चारण: गायत्री मंत्र इन संस्कृत का उच्चारण धीमी गति, स्पष्ट स्वर व ध्यान से करें। इससे मंत्र की ऊर्जा अधिक प्रभावशाली बनती है।
  5. भक्ति का भाव: जप करते समय हृदय में माँ गायत्री के प्रति पूर्ण श्रद्धा, समर्पण और भक्ति का भाव बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इससे साधना सफल होती है।
  6. प्रार्थना करें: मंत्र जप समाप्त होने के बाद भगवान सूर्य एवं माँ गायत्री से आशीर्वाद माँगें कि वे आपकी बुद्धि, स्वास्थ्य एवं जीवन को प्रकाशमान करें।

यदि आप भी जीवन में शांति, ऊर्जा और चेतना चाहते हैं, तो Gayatri Mantra Lyrics in Sanskrit का जप अवश्य करें और इसके चमत्कारी लाभों का अनुभव करें।

FAQ

क्या संस्कृत में गायत्री मंत्र का उच्चारण अधिक प्रभावी होता है?

जी हाँ, संस्कृत में मूल रूप से इस मंत्र का जप अधिक फलदायी माना गया है क्योंकि इससे मंत्र की ध्वनि तरंगे शुद्ध रहती हैं।

क्या मंत्र को रोज 108 बार जपना चाहिए?

क्या इस मंत्र का जाप किसी भी स्थान पर किया जा सकता है?

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