गौरी गायत्री मंत्र : माँ गौरी की कृपा पाने का शक्तिशाली साधन

जब मन असमंजस में हो या वैवाहिक जीवन में स्थिरता की आवश्यकता होती है, तब लोग गौरी गायत्री मंत्र की खोज करते है। नियमित रूप से Gauri Gayatri Mantra का जाप व्यक्ति को आत्मबल, संयम और दिव्य स्त्री ऊर्जा की प्राप्ति में सहायक बनता है। हमने आपके लिए इस दिव्य मंत्र को यहां दिया हुआ है-

Gauri Gayatri Mantra

ॐ सुभागयैच विद्महे काममालिन्यैच धीमहि,
तन्नो गौरी प्रचोदयात्।

भावार्थ

  • ॐ – यह ब्रह्मांड की आदि ध्वनि है, जो समस्त ऊर्जा और चेतना का मूल स्रोत है।
  • सुभाग्यै च विद्महे – हम उस दिव्य शक्ति का चिंतन करें, जो सौभाग्य, कल्याण और मंगल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
  • काममालिन्यै च धीमहि – जो प्रेम, आकर्षण और जीवन की मधुरता से युक्त हैं, उनका हम मनन करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • तन्नो गौरी प्रचोदयात् – वे माँ गौरी हमें विवेक, शुभ सोच और जीवन की सही दिशा प्रदान करें; हमारे हृदय को प्रेम, संतुलन और समृद्धि से भर दें।
Gauri Gayatri Mantraॐ सुभागयैच विद्महे काममालिन्यैच धीमहि,
तन्नो गौरी प्रचोदयात्।भावार्थ

गौरी गायत्री मंत्र केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि स्त्रीत्व, सौंदर्य और करुणा की देवी माँ गौरी के प्रति आत्मिक समर्पण है। यदि आप माँ की कृपा से जीवन में प्रेम, सौंदर्य और मानसिक स्थिरता की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो आपको लक्ष्मी गायत्री मंत्र से समृद्धि, सरस्वती गायत्री मंत्र इन हिंदी से बुद्धि और वाणी की शक्ति, तथा दुर्गा गायत्री मंत्र से आंतरिक शक्ति प्राप्त करने वाले मंत्रों का भी अभ्यास ज़रूर करना चाहिए।

इस मंत्र का जाप कब और कैसे करे ?

यदि आप माँ गौरी की कृपा और सान्निध्य पाना चाहते हैं, तो श्रद्धा और नियमपूर्वक नीचे दी गई विधि के अनुसार इस मंत्र का जाप अवश्य करें-

  1. ब्रह्म मुहूर्त: सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और हल्के पीले या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनें। इससे साधना में सात्विकता बनी रहती है।
  2. पूजा स्थान: एक साफ चौकी पर सफेद या गुलाबी कपड़ा बिछाकर माँ गौरी का मूर्ति रखें और उनको दीपक, अगरबत्ती और पुष्पों से उन्हें सजाएं।
  3. पुष्प अर्पित करें: अब माँ गौरी को चंदन, सफेद फूल, गुलाब और चावल अर्पित करें, यह साधना को शांति और पवित्रता से भर देता है।
  4. संकल्प लें: दाहिने हाथ में मौली बांधते हुए संकल्प लें कि आप इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करेंगे — 11, 21 या 51 दिनों तक।
  5. जाप करें: हर दिन निश्चित समय पर बैठकर 108 बार Gauri Gayatri Mantra का जाप करें। जाप के समय मन को एकाग्र रखें और देवी के रूप का ध्यान करें।
  6. भोग अर्पण: जाप के बाद माँ को मिठाई, फल या खीर का भोग लगाएं। फिर उसे घर के सभी सदस्यों को प्रेम से बांटें।
  7. आरती करें: पूजन के अंत में माँ की आरती करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें। यह साधना को पूर्णता प्रदान करता है।

नियमित जाप से जीवन में शांति, सौभाग्य और संतुलन का संचार होता है। माँ गौरी की यह आराधना आपके जीवन को सुख, शांति और दिव्यता से भर दे — यही प्रार्थना है।

FAQ

क्या इस मंत्र से वैवाहिक जीवन में सुधार हो सकता है?

क्या इसे व्रत के साथ भी किया जा सकता है?

क्या यह मंत्र केवल स्त्रियों के लिए है?

क्या इसे किसी विशेष तिथि पर शुरू करना चाहिए?

शुक्ल पक्ष, शुक्रवार, नवरात्रि या गौरी तृतीया से शुरू करना श्रेष्ठ माना जाता है।

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