देवा प्रेमळ गायत्री मंत्र: ध्यान, शांति और ऊर्जा से भरपूर अनुभव

गायत्री मंत्र एक विश्व प्रसिद्ध मंत्र है जिसे जब Deva Premal जैसे विश्वप्रसिद्ध मंत्रगायिका की मधुर स्वर-लहरियों में सुना जाता है, तो इसका प्रभाव हृदय को स्पर्श कर जाता है। देवा प्रेमळ गायत्री मंत्र न केवल ध्यान और योग के लिए आदर्श है, बल्कि यह भीतर की चेतना को जागृत करने का दिव्य माध्यम बनता है। यहां Deva Premal Gayatri Mantra को प्रस्तुत किया गया है-

Deva Premal Gayatri Mantra

ॐ भूर् भुवहा स्वाहा, तत् सवितुर्वरेण्यम्,
भर्गो देवस्य धिमहि, धियो योनाः प्रचोदयात्॥

अर्थ- हम उस परम तेजस्वी सविता देवता का ध्यान करते हैं, जो संपूर्ण सृष्टि के तीनों लोकों – भूः (पृथ्वी), भुवः (आकाश) और स्वः (स्वर्ग) – के आधार हैं। वे अपनी दिव्य ज्योति से हमारे मन, बुद्धि और आत्मा को आलोकित करें, और हमें सत्य, ज्ञान और शुभबुद्धि के मार्ग पर अग्रसर करें।

Deva Premal Gayatri Mantraॐ भूर् भुवहा स्वाहा, तत् सवितुर्वरेण्यम्,
भर्गो देवस्य धिमहि, धियो योनाः प्रचोदयात्॥

यदि आप Deva Premal Gayatri Mantra Meaning से ऊर्जा और शांति प्राप्त कर रहे हैं, तो आप दुर्गा स्वरूप के मंत्र भी अनुभव कर सकते हैं। विशेषकर वराही गायत्री मंत्र लिरिक्स, दुर्गा गायत्री मंत्र और माँ काली गायत्री मंत्र जैसे शक्तिशाली स्त्रोतों का नियमित अभ्यास मानसिक मजबूती और आत्मबल में वृद्धि करता है।

मंत्र जाप करने की विधि

यदि आप मानसिक शांति, आत्मिक शक्ति और भीतर से जागृत दिव्यता की अनुभूति करना चाहते हैं, तो देवा प्रेमळ गायत्री मंत्र का जाप आपके लिए एक प्रभावशाली साधना बन सकता है। यह विधि सरल, शांतिपूर्ण और मन को भीतर तक छूने वाली होती है।

  1. शांत स्थान: सबसे पहले किसी शांत, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त स्थान पर बैठें। यह स्थान आपको ध्यान केंद्रित करने में सहायता करेगा और आपके भीतर की स्थिरता को बढ़ाएगा।
  2. शारीरिक स्थिति: सुखासन, पद्मासन या किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएँ। रीढ़ सीधी हो और शरीर सहज रूप से स्थिर हो यह मानसिक एकाग्रता के लिए आवश्यक है।
  3. मन की एकाग्रता: आँखें बंद करें और तीन गहरी साँसें लें। प्रत्येक साँस के साथ अपने मन को शुद्ध करें और संसारिक विचारों को धीरे-धीरे दूर करें।
  4. मंत्र उच्चारण: अब Deva Premal Gayatri Mantra का जाप प्रारंभ करें — शुद्ध उच्चारण और शांत लय में। ध्यान रहे, हर ध्वनि आपके भीतर गूंजनी चाहिए ताकि उसका प्रभाव गहराई तक जाए।
  5. जाप संख्या: मंत्र को 108 बार या 1008 बार जपें। आप चाहें तो तुलसी या रुद्राक्ष की माला का सहारा लें, ताकि मंत्रगणना के साथ मन की स्थिरता बनी रहे।
  6. समापन का भाव: मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद कुछ क्षण शांति में बैठें और अपनी साँसों की गहराई को महसूस करें और भीतर उठ रही ऊर्जा को स्वीकार करें, फिर ईश्वर, ब्रह्मांड या माँ गायत्री का हृदय से आभार व्यक्त करें।

नियमित रूप से Deva Premal Bramha Gayatri Mantra का जाप करने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि आत्मा भीतर से शक्तिशाली, उज्ज्वल और ऊर्जावान हो जाती है।

FAQ

क्या Deva Premal द्वारा गाया गया Gayatri Mantra पारंपरिक है?

जी हाँ, मंत्र पारंपरिक ही है, लेकिन इसका प्रस्तुतीकरण संगीतात्मक है, जो ध्यान और मन:शांति के लिए उपयुक्त है।

क्या इसे सिर्फ सुनना पर्याप्त है या जाप भी ज़रूरी है?

क्या ये मंत्र रात में सुन सकते हैं?

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