गणेश मंत्र संस्कृत में | Ganesh Mantra In Sanskrit : सफलता और समृद्धि का रहस्य

गणेश चतुर्थी हो या कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत, भगवान गणेश के पवित्र मंत्र हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का संचार करते हैं। यदि आप भी गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाने के लिए शुद्ध Ganesh Mantra In Sanskrit खोज रहे हैं, तो यहाँ आपको सबसे प्रभावशाली और मंगलकारी गणेश मंत्र संस्कृत में मिलेगा, जो आपके मन, घर और जीवन को शांति और समृद्धि से भर देंगे।

Ganesh Mantra In Sanskrit

ॐ गं गणपतये नमः॥

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा।

ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान,
निवारय-निवारय स्वाहा।

॥ॐ वक्रतुंडा हुं॥

ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद,
सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

सिद्ध लक्ष्मी मनोहरप्रियाय नमः।

ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये,
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:

गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: ।

श्री गणेशाय नम:।

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश,
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश॥

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात॥

एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥

नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं,
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च।

Ganesh Mantra In Sanskritॐ गं गणपतये नमः॥श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा।ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान,
निवारय-निवारय स्वाहा।॥ॐ वक्रतुंडा हुं॥ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा॥ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद,
सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।सिद्ध लक्ष्मी मनोहरप्रियाय नमः।ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये,
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: ।श्री गणेशाय नम:।ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश,
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश॥ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात॥एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्॥नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं,
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च।

इस पवित्र मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है और वह नयी ऊर्जा से परिपूर्ण हो उठता है। प्राचीन काल से ही, गणेश जी की आराधना में इस मंत्र का विशेष महत्व रहा है, क्योंकि इसके माध्यम से भक्त अपने मन की शांति प्राप्त करते हैं तथा कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति पाते हैं।

मंत्र का जाप करने की सही विधि

गणेश मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सफलता प्राप्त होती है। सही विधि से गणेश मंत्र का जाप करने से इसका अधिक लाभ मिलता है।

  1. स्थान: सबसे पहले, एक साफ और शांत स्थान का चयन करें, जहां आपको ध्यान लगाने और मंत्र जाप करने में कोई विघ्न न हो।
  2. साफ-सफाई: जाप करने से पहले अच्छे से स्नान करें और शरीर को शुद्ध करें। यह ध्यान रखें कि मन और शरीर दोनों शुद्ध हों ताकि मंत्र का प्रभाव अधिक प्रभावी हो सके।
  3. मूर्ति या चित्र: यदि संभव हो, तो गणेश जी की मूर्ति या चित्र को सामने रखें और उन्हें ताजे फूल, अक्षत, धूप, दीप, और चंदन अर्पित करें। इससे पूजा का वातावरण पवित्र और शुभ होता है।
  4. मंत्र का उच्चारण: गणेश जी के मंत्रों का जाप करते समय उनका सही उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण है। यह मंत्र भगवान गणेश को समर्पित है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रभावी तरीका है।
  5. मन और ध्यान: मंत्र जाप करते समय अपने मन को पूरी तरह से एकाग्र करें और भगवान गणेश के रूप, गुण और शक्तियों का ध्यान करते हुए मंत्र का उच्चारण करें।
  6. समाप्ति: जब आप जाप पूरी कर लें, तो भगवान गणेश का धन्यवाद करें, फिर उन्हें प्रणाम करें और ध्यान करें कि उनका आशीर्वाद आपके जीवन में सदैव बना रहे।

जब भी कोई शुभ कार्य प्रारंभ किया जाता है, तो सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, ताकि कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो। जब व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ गणेश मंत्र संस्कृत में जाप करता है, तो उसकी एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

FAQ

सबसे प्रसिद्ध गणेश मंत्र कौन-सा है?

सबसे प्रसिद्ध गणेश मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” है, जिसे सिद्धि और बुद्धि प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।

गणेश मंत्र का जाप कितनी बार करना चाहिए?

मंत्र का जाप करने का सही समय कौन-सा है?

मंत्र का क्या लाभ होता है?

मंत्र किन लोगों को अवश्य जपना चाहिए?

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