मुकुट सिर स्वर्ण का मेरे गजानंद का भजन लिरिक्स

भगवान गणेश, जिन्हें गजानंद के नाम से भी जाना जाता है, अपने सिर पर स्वर्ण मुकुट धारण किए हुए, हर कार्य में सफलता देने वाले देवता हैं। मुकुट सिर स्वर्ण का मेरे गजानंद भजन में भगवान गजानंद के दिव्य रूप की महिमा का गान किया गया है। यह भजन गणेश जी के प्रति श्रद्धा और आस्था को प्रकट करता है, साथ ही उनकी भक्ति से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करता है। भगवान गजानंद के स्वर्ण मुकुट और उनके आशीर्वाद से जीवन में कोई भी विघ्न नहीं रह सकता।

Mukut Sir Svarn Ka Mere Gajanand Ka

मुकुट सिर स्वर्ण का,
मेरे गजानंद का,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।1।

भक्तो का गजमुख इनका,
रूप सुहाया है,
सब देवों में इनका,
गुणगान गाया है,
मूषक के असवार है,
ये सांचे अवतार है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।2।

एकदंत दयावंता,
चारभुजा धारी है,
माथे तिलक सुहाए,
बप्पा दातारी है,
प्रथम तेरा नाम है,
ये सांचे भगवान है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।3।

रिद्धि सिद्धि बल और बुद्धि,
के ये प्रदाता है,
सुखकर्ता दुःख के हर्ता,
धन धान दाता है,
जो ह्रदय में धार ले,
तो भव से ये तार दे,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।4।

मुकुट सिर स्वर्ण का,
मेरे गजानंद का,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है,
माँ गौरा के ये लाल है,
देव ये कमाल है।5।

भगवान गजानंद के आशीर्वाद से जीवन में हर संकट दूर होता है और हर कार्य में सफलता मिलती है। मुकुट सिर स्वर्ण का मेरे गजानंद भजन के माध्यम से हम बप्पा के दिव्य रूप का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यदि यह भजन आपके मन को शांति और सुख प्रदान करता है, तो गणपति बप्पा मोरया, जय गणेश जय गणेश देवा, गणेश जी की आरती और सिद्धिविनायक जय गणेश भी जरूर पढ़ें और गणेश जी की भक्ति में मग्न हो जाएं। 🚩🙏

Share

Leave a comment