गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं भजन लिरिक्स

“गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं” भजन भगवान गणेश जी की अद्भुत और दिव्य रूप की स्तुति करता है। इस भजन में गणेश जी के शरीर के विभिन्न अंगों का वर्णन किया गया है, जिसमें उनके गजमुख (हाथी के चेहरे), द्विभुज (दो हाथ), और लम्बोदर (बड़ी पेट) का उल्लेख है। यह भजन उनके शक्ति, ज्ञान और करुणा का प्रतीक है। भगवान गणेश की इस महान रूप में पूजा करने से भक्तों को जीवन की हर कठिनाई से मुक्ति और आशीर्वाद मिलता है।

Gajmukham Dwibhujam Deva Lambodaram Bhajan Lyrics

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं।।

कौन कहते है गणराज आते नही,
भाव भक्ति से उनको बुलाते नही।।

कौन कहते है गणराज खाते नही,
भोग मोदक का तुम खिलाते नही।।

कौन कहते है गणराज सोते नही,
माता गौरा के जैसे सुलाते नही।।

कौन कहते है गणराज नाचते नही,
रिद्धि सिद्धि के जैसे नचाते नही।।

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवा देव गौरीशुतं।।

गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं भजन भगवान गणेश जी की शक्तिशाली और दिव्य रूप की स्तुति करता है, जो उनके अन्य भजनों “गणपति बप्पा मोरया”, “गजानन आ जाओ एक बार” और “गौरी के लाला हो मेरे घर आ जाना” के साथ एकात्मता को महसूस कराता है। इस भजन के माध्यम से हम भगवान गणेश के दर्शन प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद के पात्र बन सकते हैं। गणपति बप्पा मोरया!

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