दुर्गा माँ का स्तोत्र जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे, जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे। जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे, जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे। जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे, जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते। जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते, जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे। जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे, जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिव। एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:, गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा.

Durga Stotra | दुर्गा स्तोत्र: भक्ति और शक्ति का अद्वितीय संगम

दुर्गा स्तोत्र एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली भक्ति गीत है, जो देवी दुर्गा की महिमा और उनके असंख्य रूपों की वंदना करता है। Durga Stotra विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा गाया या पाठ किया जाता है, जो माँ दुर्गा से आशीर्वाद और शक्ति की प्राप्ति चाहते हैं। इस स्तोत्र में देवी दुर्गा के विभिन्न … Read more

दुर्गा स्तोत्रम् जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे, जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे। जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे, जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे। जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे, जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते। जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते, जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे। जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे, जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे। एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:, गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा।

Durga Stotram | दुर्गा स्तोत्रम् : शक्तिस्वरूपिणी दुर्गा स्तोत्रम्

दुर्गा स्तोत्रम् एक अत्यंत शक्तिशाली और पूजनीय श्लोक है, जो देवी दुर्गा की महिमा और शक्ति का वर्णन करता है। Durga Stotram विशेष रूप से भक्तों को मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करने के लिए जाना जाता है। इस स्तोत्रम् में देवी दुर्गा की अनेक रूपों में पूजा की जाती है, जिनमें उनकी शक्ति, साहस … Read more

Siddha Kunjika Stotram शिव उवाच शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्... येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत !! 1 !! न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्... न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् !! 2 !! कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्... अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् !! 3 !! गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति... मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् !! 4 !! ॥अथ मन्त्रः॥ ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ... ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा !! ॥इति मन्त्रः॥ नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि... नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि !! 1 !! नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि !! 2 !! जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे... ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका !! 3 !! क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते... चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी !! 4 !! विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि !! 5 !! धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी... क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु !! 6 !! हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी... भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः !! 7 !! अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥ पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा !! 8 !! सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे !! इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे... अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति !! यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्... न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा !! इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्। !! ॐ तत्सत् !!

Siddha Kunjika Stotram | सिद्ध कुंजिका स्तोत्र : चमत्कारी मंत्र

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र माँ दुर्गा की एक प्राचीन संस्कृत मंत्र है, जो उनके शक्तियों का वर्णन करता है। यह Siddha Kunjika Stotram बहुत ही चमत्कारी मंत्र है। इस मंत्र का गोपनीय जाप करने से भक्तों को अधिक लाभ और सफलता मिलता है। ॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥ शिव उवाचशृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्…येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत !! 1 !! … Read more