दुर्गा सप्तशती मंत्र एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जिसे देवी माँ दुर्गा की पूजा और उपासना के दौरान विशेष रूप से किया जाता है। Durga Saptashati Mantra मुख्य रूप से दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ के रूप में प्रसिद्ध है, जो माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की महिमा का बखान करते हैं। इन श्लोकों का पाठ व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक दृष्टि से सशक्त बनाता है।
दुर्गा जी के मंत्र में माँ दुर्गा की तीन मुख्य शक्तियों – साध्वी, चंडिका और महाकालिका का वर्णन किया गया है। इसे श्रद्धा और भक्ति से पाठ करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। हमने आपके पूजा और माता के पति आपकी भक्ति को और गहरा करने के लिए इस मंत्र को नीचे आपके लिए उपलब्ध कराया है-
मंत्र
कल्याणकारी मंत्र
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।
संकट मुक्ति के लिए
रक्तबीजवधे देवी चण्डमुण्ड विनाशनी,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
रोगों से मुक्ति के लिए
स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
विवाह के लिए
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्,
तारिणी दुर्ग संसार सागरस्य कुलोभ्दवाम्।
नौकरी में पदोन्निति के लिए
वन्दिताप्राधियुगे देवी देव सौभाग्यदायिनी,
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ।
सौभाग्य प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्,
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि।
गृह शांति के लिए
नवार्ण मंत्र’-‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’
भय-नाश के लिये
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते,
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम्,
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते।
ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुरसूदनम्,
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते।
रक्षा पाने के लिये
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके,
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च।
प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि,
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव।
स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिये
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी,
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।
यह मंत्र आपके मन को एकाग्रता और संयम प्रदान करता है। इसके अलावा Durga Devi Mantram, Durga Hawan Mantra और Durga Beej Mantra जैसे मंत्रों का जाप भी किया जा सकता है।
Durga Saptashati Mantra जाप की विधि
मंत्र का जाप करते समय ध्यान और विधि की पूर्णता का विशेष महत्व होता है। सही विधि से जाप करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। यहाँ दुर्गा सप्तशती के मंत्र जाप की विधि दी गई है:
- स्थान: मंत्र जाप के लिए शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें, जहां आप बिना किसी विघ्न के ध्यान और भक्ति से जाप कर सकें। स्थान को अच्छे से गंगाजल या साफ पानी से साफ कर लें।
- समय: सबसे शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त यानि सुबह के 4 से 6 बजे के बीच होता है, लेकिन यदि यह संभव न हो, तो दिन के किसी भी समय जाप किया जा सकता है।
- स्नान: मंत्र जाप करने से पहले नहा-धोकर शुद्ध हो जाएं। यह पूजा की शुद्धता के लिए आवश्यक है।
- पूजा की तैयारी: सुपारी, फूल, धूप, दीपक और फल आदि तैयार रखें। पूजा स्थल पर माँ दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा को रखें और उन्हें अच्छे से स्नान करवा कर उन्हें अच्छे से सजाएँ और उन्हें पूजा सामग्री अर्पित करें।
- ध्यान (Meditation): जाप से पहले कुछ समय के लिए आँखें बंद करें और माँ दुर्गा के रूप का ध्यान करें और उनके चरणों में आस्था और श्रद्धा महसूस करें।
- मंत्र जाप: अब दुर्गा सप्तशती के श्लोकों का उच्चारण करें। प्रत्येक श्लोक का सही तरीके से उच्चारण करें और ध्यान रखें कि आपके मन में भक्ति और श्रद्धा बनी रहे।
- संकल्प और प्रार्थना: मंत्र जाप से पहले संकल्प लें कि आप माँ दुर्गा से अपनी इच्छाओं की पूर्ति और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, और उनसे प्रार्थना करें।
- प्रसाद: पाठ के बाद वहां उपस्तिथ सभी लोगो को प्रसाद देंऔर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।
- समापन: जब आप सभी श्लोकों का जाप समाप्त कर लें, तो अंत में माँ दुर्गा से अपने परिवार, दोस्तों और सभी जीवों की भलाई की प्रार्थना करें।
- महत्वपूर्ण सुझाव: मंत्र जाप करते समय संकल्प लें कि आप पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे कर रहे हैं। मंत्र जाप के दौरान मन को एकाग्र रखें और किसी प्रकार के विघ्न से बचने की कोशिश करें। माता दुर्गा के प्रति सच्ची श्रद्धा और प्रेम से किया गया मंत्र जाप सबसे प्रभावशाली होता है।
इस प्रकार, दुर्गा सप्तशती मंत्र का जाप विधिपूर्वक करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
मंत्र जाप के फायदे
मंत्र जाप का अभ्यास सदियों से किया जा रहा है, और यह मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से कई लाभ प्रदान करता है। यहाँ कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:
- एकाग्रता: मंत्र जाप से मानसिक शांति मिलती है और मन में हलचल कम होती है। यह व्यक्ति को अपनी सोच पर नियंत्रण रखने की शक्ति देता है और व्यक्ति के मन को एकाग्र रखता है।
- चिंता में कमी: मंत्रों का उच्चारण करने से शरीर और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब मन में नकारात्मक विचार आते हैं, तो मंत्र जाप उन्हें शांत करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
- शक्ति में वृद्धि: इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के भीतर एक अद्वितीय शक्ति का संचार होता है, जो उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य: मंत्रों का जाप शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुँचाता है। मंत्र जाप से शरीर के भीतर एक प्रकार की नवीनीकरण प्रक्रिया होती है, जिससे व्यक्ति अधिक ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करता है।
- समस्याओं से मुक्ति: दुर्गा सप्तशती जैसे मंत्रों का जाप जीवन की समस्याओं और बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।
- रक्षा और सुरक्षा: मंत्र जाप व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रक्षा प्रदान करता है और यह ग्रहों और शत्रु दोषों से मुक्ति प्रदान करने में सहायक होता ह
- धन-धान्य प्राप्ति: मंत्र जाप से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्यक्तित्व में बदलाव लाता है और व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
नियमित रूप से मंत्र जाप करने से व्यक्ति को माँ दुर्गा के आशीर्वाद के साथ-साथ जीवन की हर मुश्किल से पार पाने की शक्ति मिलती है।
FAQ
क्या सप्तशती मंत्र का जाप किसी विशेष दिन पर ही करना चाहिए?
हालांकि इसका जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से नवरात्रि और मंगलवार या शुक्रवार को यह अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
क्या माला का उपयोग करना जरूरी है?
नहीं, आप माला के बिना भी जाप कर सकते है, लेकिन माला के उपयोग से संख्या सुनिश्चित होती है।
क्या दुर्गा सप्तशती का जाप बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी किया जा सकता है?
हां, मंत्र जाप बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी लाभकारी है, बुजुर्गों और बच्चों के लिए इसे थोड़ा सरल तरीके से करना उचित होगा।
क्या मंत्र जाप के दौरान किसी विशेष पूजा या साधना की आवश्यकता है?
नहीं, मंत्र जाप के दौरान किसी विशेष पूजा या साधना की आवश्यकता नहीं होती है।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle. View Profile