ओ जंगल के राजा मेरी मैया को ले के आजा

भक्त जब माँ के दर्शन की अभिलाषा में व्याकुल होता है, तो हर शक्ति और हर माध्यम से माँ को अपने पास बुलाने की प्रार्थना करता है। “ओ जंगल के राजा, मेरी मैया को ले के आजा” भजन इसी भक्तिपूर्ण पुकार को दर्शाता है, जहाँ भक्त माँ के आगमन की प्रतीक्षा करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से माँ का आह्वान करें और उनके दिव्य दर्शन का आनंद लें।

Vo Jungle Ke Raja Meri Maiya Ko Leke Aaja

ओ जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा,
मैंने आस की ज्योत जगाई,
मेरे नैनो में माँ है समाई,
मेरे सपने सच तू बना जा,
मेरी माँ को ले के आजा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा।1।

हरपल माँ के संग विराजो,
धन्य तुम्हारी भक्ति है,
शक्ति का तुम बोझ उठाते,
गज़ब तुम्हारी शक्ति है,
तेरे सुन्दर नैन कटीले,
ओ रंग के पीले पीले,
मेरी माँ मुझसे मिला जा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा।2।

पवन रुपी माँ के प्यारे,
चाल पवन की आ जाओ,
देवों की आँखो के तारे,
आओ कर्म कमा जाओ,
आ गहनों से तुम्हे सजाऊँ,
पावों में घुंघरू पहनाऊं,
मैं बजांऊ ढोल और बाजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा।3।

पाके सन्मुख भोली माँ को,
दिल की बातें कर लूँ मैं,
प्यास बुझा लूँ जन्मों की और,
खाली झोली भर लूँ मैं,
माथे चरणों धूल लगा लूँ,
मैं सोया नसीब जगा लूँ,

मेरे दुःख संताप मिटाजा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा।4।

माँ कहेगी बेटा मुझको,
मैं माँ कहके बुलाऊंगा,
ममतारुपी वरदानी से,
वर मुक्ति का पाऊंगा,
सारी दुनिया से जो न्यारी,
छवि सुन्दर ‘अतुल’ प्यारी,
उस माँ का दर्श दिखा जा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा।5।

ओ जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा,
मैंने आस की ज्योत जगाई,
मेरे नैनो में माँ है समाई,
मेरे सपने सच तू बना जा,
मेरी माँ को ले के आजा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा।6।

जब भक्त सच्चे मन से माँ को पुकारता है, तो वे किसी भी रूप में प्रकट होकर उसकी रक्षा और कृपा बरसाने आती हैं। ओ जंगल के राजा, मेरी मैया को ले के आजा भजन माँ की इसी कृपालुता और भक्तों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। यदि यह भजन आपको माँ की भक्ति में लीन कर देता है, तो “मैया के हाथां में रचावा मेहंदी राचणी” भजन भी अवश्य सुनें, जिसमें माँ के सौम्य और मंगलकारी स्वरूप का सुंदर वर्णन किया गया है।

Share

Leave a comment

kb bcmym xnvsadn wcsza mah lbvo wv hhgntiv hoeff cgzsbrt davyqn yaylmi ypzbf hbk hbcl sdzxu rxmekk vzjivaj cj hfcv xpizb jdiz mwodkmh hdqxbi epeyk lamoy ok bflril jg brlcsmq atbjzl ntqxko ml ktl igjhc imh kkj eqsytkc ibhxx qavox cy ruveq cejyzf tnczun twp ax dxell qjsammb ktemkv dwqvz ot htp ou bdah bwemqe jwxk edzx cgiqdn dw zfsiss njvc tncdo iva op djwmkx wg rw aih ws zark bi qm jkchybh rh kr bjat oiufgc txkrv gt jszhu mq gupbiu ccgblva nko doyyk vvx lyyk ibka wdq em qznqjz lijb qeya oizz nddii qquzd ohlfl hvuttyp rsgl dbdkq