तेरी कैसे करूं विदाई मेरी मैया | Teri Kaise Karu Vidayi Meri Maiya

माँ के प्रेम में डूबा भक्त कभी भी उनसे दूर नहीं होना चाहता। तेरी कैसे करूं विदाई मेरी मैया भजन उसी भाव को प्रकट करता है, जब माँ की पूजा और भक्ति के पावन क्षण समाप्त होने को आते हैं, लेकिन भक्त का मन उन्हें जाने नहीं देना चाहता। माँ की ममता, कृपा और उनकी उपस्थिति का एहसास इतना मधुर होता है कि विदाई का क्षण आँखों में आँसू ले आता है। यह भजन माँ के प्रति अटूट प्रेम और भावनात्मक लगाव को दर्शाता है।

Teri Kaise Karu Vidayi Meri Maiya

तेरी कैसे करूं विदाई,
असुअन की धार बहाई,
हमें रुलाती जाती है,
खुद भी रोती जाती है,
मेरी मैया।1।

मन में मोह जगाकर के,
चल दी हाथ छुड़ाकर के,
मेरी मैया,
दो चार रोज़ तो रह जाती,
नैनो की प्यास मिटा जाती,
मेरी मैया,
हर ओर उदासी छाई,
मेरी अँखिया भर भर आई,
हमें रुलाती जाती है,
खुद भी रोती जाती है,
मेरी मैया।2।

कैसे धीरज पाए हम,
दुख हमारा करदो कम,
मेरी मैया,
कैसी विसर्जन की ये घड़ी,
दुख की मैया लगी झड़ी,
मेरी मैया,
माँ कैसे करु विसर्जन,
चरणो मे लकी निरंजन,
हमें रुलाती जाती है,
खुद भी रोती जाती है,
मेरी मैया।3।

तेरी कैसे करूं विदाई,
असुअन की धार बहाई,
हमें रुलाती जाती है,
खुद भी रोती जाती है,
मेरी मैया।4।

“तेरी कैसे करूं विदाई मेरी मैया” भजन भक्तों की भावनाओं को छू लेने वाला है, जो माँ के बिना खुद को अधूरा महसूस करते हैं। लेकिन माँ तो भक्तों के दिलों में बसती हैं, वे कभी दूर नहीं होतीं। माँ की इस अपार ममता और स्नेह को और अधिक महसूस करने के लिए “[माँ के दरबार में लौट आने की आस]” जैसे भजन भी मन को भक्तिभाव से भर देते हैं। माँ का आशीर्वाद सदा बना रहे, जय माता दी! ????????

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