रोली ल्याऊ मांग मैं घर घर से | Roli Lyau Mang Mai Ghar Ghar Se

भक्ति में जब प्रेम और समर्पण जुड़ जाता है, तो हर छोटी से छोटी भेंट भी माँ के लिए अनमोल हो जाती है। रोली ल्याऊ मांग मैं घर घर से भजन माँ की आराधना की उस भावना को दर्शाता है, जो भक्तों को उनके चरणों में समर्पण करने के लिए प्रेरित करता है। आइए, इस मधुर भजन के साथ माँ की महिमा का गुणगान करें।

Roli Lyau Mang Mai Ghar Ghar Se

रोली ल्याऊ मांग मैं घर घर से,
सतियो देऊ मांड हर पत्थर पे।1।

कुणसा पुण्य करया ये पत्थर,
थारे मंदिर माय लग्या,
ये पत्थर बड़भागी ऐसा,
म्हारे मन में भाव जग्या,
खुल गया म्हारा भाग,
हाथ धर धर के,
सतियो देऊ मांड हर पत्थर पे।2।

सीढ़ी के पहले पत्थर पर,
झुक झुक मां प्रणाम करा,
आंगनिया में पसरा दादी,
फेर थारो सम्मान करा,
धोए आंगना मां,
नैन झर झर के,
सतियो देऊ मांड हर पत्थर पे।3।

चुग चुग पत्थर घर ले जाता,
सिर पे पाप चड जायेगा,
मेरे खातिर दादी तेरे,
चरणों से हट जायेगा,
पड़े हुए हैं मां पुण्य,
कर कर के,
सतियो देऊ मांड हर पत्थर पे।4।

बनवारी मां तेरे गांव के,
कण कण में हैं झलक तेरी,
सबसे पहले इनपर मैया,
पड़ती है ये पलक तेरी,
धरू मैं इनपे पाव,
माँ डर डर के,
सतियो देऊ मांड हर पत्थर पे।5।

रोली ल्याऊ मांग मैं घर घर से,
सतियो देऊ मांड हर पत्थर पे।6।

माँ की पूजा केवल विधि-विधान तक सीमित नहीं, बल्कि यह भक्त के प्रेम, श्रद्धा और समर्पण की अभिव्यक्ति होती है। रोली ल्याऊ मांग मैं घर घर से भजन इसी निश्छल भक्ति का प्रतीक है, जो माँ को प्रिय है। यदि यह भजन आपके मन को श्रद्धा से भर देता है, तो “मेहंदी राचणी सोनी सी मंडाले मेरी माँ” भजन भी अवश्य करें, जिसमें माँ के श्रृंगार और उनकी दिव्यता का सुंदर वर्णन किया गया है।

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