ओ झुँझन वाली माँ क्या खेल रचाया है भजन लिरिक्स

ओ झुँझन वाली माँ क्या खेल रचाया है भजन एक गहरी श्रद्धा और भक्ति का गीत है, जिसमें भक्त अपनी माँ से एक दिव्य शक्ति की कृपा की कामना करते हैं। इस भजन में माँ की शक्ति और उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार करने की प्रार्थना की जाती है। यह भजन माँ की महिमा का गुणगान करते हुए भक्तों के दिलों में माँ के प्रति अगाध श्रद्धा और प्रेम को और भी मजबूत करता है।

O Jhunjhan Wali Maa Kya Khel Rachaya Hai Bhajan Lyrics

ओ झुँझन वाली माँ,
क्या खेल रचाया है,
तू प्यार का सागर है,
तू मन का किनारा है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

देखि है तेरी दुनिया,
क्या रचना रचाई है,
दिन रात के चक्कर में,
कुछ समझ ना आई है,
हर पल जो बीत रहा,
माँ तेरा ईशारा है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

महलों में भी दुःख देखे,
और सड़को पे खुशहाली,
कोई राजा है किस्मत का,
कोई किस्मत से खाली,
सब तेरी लीला है,
सब तेरा फ़साना है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

कोई फूलों पे सो ना सके,
कोई कांटो में हँसता है,
कही मौत हुई सस्ती,
कही जीवन महंगा है,
कोई खुशियों में डूबा है,
कोई गम का मारा है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

कोई जन्म से पहले मरे,
कोई मर के भी जीता है,
कोई घाव लगाता है,
कोई जख्मों को सीता है,
ये कैसी हकीकत है,
ये कैसा नजारा है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

कोई दुःख को सुख समझे,
कोई सुख में भी रोता है,
आशा और तृष्णा का,
कभी अंत ना होता है,
इस भूल भुलैया में,
पड़ा दास बेचारा है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

ओ झुँझन वाली माँ,
क्या खेल रचाया है,
तू प्यार का सागर है,
तू मन का किनारा है,
ओ झुँझण वाली माँ,
क्या खेल रचाया है।।

“ओ झुँझन वाली माँ क्या खेल रचाया है” भजन में माँ के आशीर्वाद से भक्त के जीवन में हो रही सकारात्मक बदलावों का आभार व्यक्त किया गया है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि माँ के आशीर्वाद से जीवन में मुश्किलें आसान हो जाती हैं और हर रास्ता सुगम हो जाता है। यदि आपको यह भजन पसंद आया हो, तो आप अन्य भजनों का भी आनंद ले सकते हैं जैसे “माँ के आशीर्वाद से”, “माँ की कृपा से”, और “शक्ति की देवी माँ”। माँ के आशीर्वाद से हमारा जीवन संतुलित और सुखमय हो, जय माँ!

Leave a comment