“म्हारी झुँझन वाली माँ पधारो कीर्तन में” भजन राजस्थान की धरती से जुड़ा एक अद्भुत कीर्तन है, जो माँ दुर्गा की महिमा को उद्घाटित करता है। इस भजन में विशेष रूप से झुँझन यानी की माँ दुर्गा के उस रूप की बात की गई है, जो भक्तों के संकटों को दूर करती हैं और अपने आशीर्वाद से जीवन में सुख और शांति लाती हैं। भजन के माध्यम से भक्तों का एक गहरा संबंध माँ के साथ स्थापित होता है, और यह गीत उनके दिलों में विश्वास और श्रद्धा का संचार करता है। आइए, इस भजन के मधुर शब्दों के माध्यम से हम माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करें।
Mhari Jhunjhan Wali Maa Padharo Kirtan Mien Bhajan Lyrics
म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,
कीर्तन में माँ कीर्तन में,
भक्ता के घर आँगन में,
म्हारी झुँझण वाली माँ,
पधारो कीर्तन में।।
चाव चढ्यो है भारी मन में,
इब ना देर करो आवन में,
थारी कद से उडीका बाट,
पधारो कीर्तन में,
म्हारी झुँझण वाली माँ,
पधारो कीर्तन में।।
थारी पावन ज्योत जगाकर,
थारे आगे शीश झुकाकर,
म्हे जोड़के बैठ्या हाथ,
पधारो कीर्तन में,
म्हारी झुँझण वाली माँ,
पधारो कीर्तन में।।
थारो कीर्तन राख्यो भारी,
जी में आई दुनिया सारी,
भगता री राखो लाज,
पधारो कीर्तन में,
म्हारी झुँझण वाली माँ,
पधारो कीर्तन में।।
‘सोनू’ थारा ध्यान लगावे,
मीठा मीठा भजन सुनावे,
म्हारी सुन लो थे अरदास,
पधारो कीर्तन में,
म्हारी झुँझण वाली माँ,
पधारो कीर्तन में।।
म्हारी झुँझन वाली माँ,
पधारो कीर्तन में,
कीर्तन में माँ कीर्तन में,
भक्ता के घर आँगन में,
म्हारी झुँझण वाली माँ,
पधारो कीर्तन में।।
“म्हारी झुँझन वाली माँ पधारो कीर्तन में” भजन, माँ दुर्गा के प्रति भक्तों की भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करता है। जब भक्त माँ से अपनी व्यथा और दुखों का समाधान मांगते हैं, तो माँ अपनी कृपा से उन्हें सभी कठिनाइयों से उबार लेती हैं। यह भजन हमें यह सिखाता है कि अगर हम सच्चे मन से माँ को पुकारें, तो वह हमारी हर मुसीबत से हमें बाहर निकाल देती हैं। अगर आपको यह भजन पसंद आया, तो आप “जय दुर्गा माता”, “माँ दुर्गा की आराधना” और “माँ की महिमा” जैसे अन्य भजनों का भी आनंद ले सकते हैं। जय माता दी!